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 पचास स्कूलों की मान्यता लंबित

अशोकनगर. जिले में हौचपौच तरीके से मान्यता जारी किए जाने के कारण कई बड़े स्कूल अभी तक मान्यता विहीन हैं। दूसरी ओर कई ऐसे स्कूलों को मान्यता जारी कर दी गई है, जो मापदंडों पर कहीं खरे नहीं उतरते।

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praveen praveen

Jun 29, 2016

Ashoknagar

Ashoknagar


अशोकनगर
. जिले में हौचपौच तरीके से मान्यता जारी किए जाने के कारण कई बड़े स्कूल अभी तक मान्यता विहीन हैं। दूसरी ओर कई ऐसे स्कूलों को मान्यता जारी कर दी गई है, जो मापदंडों पर कहीं खरे नहीं उतरते। यह दर्शाता है कि मान्यता जारी करने में मापदंडों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। समिति से जांच करवाए बिना, केवल बीआरसीसी की अनुशंसा पर मान्यता जारी की जा रही हैं।

नया शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है और निजी स्कूल करीब तीन माह पहले से नए बच्चों का प्रवेश भी ले रहे हैं। लेकिन इनमें से कई ऐसे हैं, जिनकी मान्यता का नवीनीकरण अभी तक नहीं हुआ है। इसके कारण इन स्कूलों व इनमें पढऩे वाले बच्चों का भविष्य अधर में है। जिले में करीब 275 निजी स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन दिया था। इनमें से अधिकांश स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण होना था। नई मान्यता देने और मान्यता नवीनीकरण का कार्य नवीन शिक्षण सत्र शुरू होने से पहले निबटाया जाना चाहिए था। लेकिन जिले में अभी करीब 50 स्कूल ऐसे हैं, जिनकी मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया गया है। इनमें कई बड़े व पुराने स्कूल भी शामिल हैं। इनमें बच्चों की संख्या हजारों में हैं। ऐसे में स्कूल संचालकों सहित ही बच्चों के अभिभावक भी पशोपेश की स्थिति में है। इस संबंध में जब डीईओ से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। एक दिन पहले भी उन्होंने जानकारी देने से इंकार कर दिया था।

आरटीई में प्रवेश की भी समस्या

कई बड़े स्कूलों की मान्यता न होने से ऑनलाइन फार्म भरते समय पोर्टल इन स्कूलों का कोड एक्सेप्ट नहीं कर रहा है। इन स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाने के इच्छुक पाले चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं से भी संतुष्टिजनक जवाब उन्हें नहीं मिल रहा है। जिन स्कूलों में पढ़ाई ठीक नहीं है, उनमें वे बच्चों का प्रवेश नहीं कराना चाह रहे हैं।

छोटे स्कूलों को मिल गई मान्यता

जिले में दर्जनों ऐसे स्कूलों को मान्यता जारी कर दी गई है, इनके पास प्लेग्राउंड व अन्य सुविधाएं तो दूर स्वयं का भवन तक नहीं है। कई स्कूल ऐसे हैं, जो एक या दो कमरों में संचालित हो रहे हैं। जबकि मान्यता के लिए हर मौसम के लिए उपयुक्त भवन, छात्र संख्या के हिसाब से कमरे, खेल का मैदान, पेयजल व्यवस्था, बालक व बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, पुस्तकालय, रेंप, बाउंड्री वॉल, कार्यालय कक्ष व स्टाफ कक्ष आवश्यक है। इसके अलावा छात्र संख्या के मान से प्रशिक्षित शिक्षक होना भी आवश्यक है।

बड़े और पुराने स्कूलों की मान्यता लंबित

जिले में कई बड़े और पुराने स्कूलों की मान्यता लंबित है। इनमें में स्वामी विवेकानंद स्कूल, हनुमान मिडिल स्कूल, वर्धमान मिडिल स्कूल, सेंटथॉमस हायर सेकंडरी स्कूल, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर अशोकनगर, शिवपुरी पब्लिक स्कूल अशोकनगर, सन शाइन पब्लिक स्कूल ईसागढ़, टीएवी पब्लिक स्कूल मुंगावली, शारदा विद्या निकेतन मुंगावली, सेंटमीरा पब्लिक स्कूल मुंगावली आदि शामिल हैं। जिन्होंने करीब छह माह पहले ही मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन कर दिया था और इनके पास पर्याप्त कक्षों वाला भवन, मैदान सहित अन्य सुविधाएं हैं। स्टाफ में भी कुछ प्रशिक्षित तो कुछ सालों पुराने शिक्षक हैं, लेकिन इनकी मान्यता नहीं हुई है।

न आवेदन निरस्त किया और न मान्यता दी

डीईओ द्वारा अभी तक स्कूलों के आवेदनों का निराकरण न किया जाना भी सवालों के घेरे में है। न तो आवेदन निरस्त किया गया है और न ही मान्यता जारी की गई है। कुछ स्कूल संचालकों ने मान्यता के लिए लेन-देन की बात भी कही है। उनका आरोप है कि डीईओ द्वारा जानबूझकर मान्यता को पेंडिंग में डाला गया है। कमियां पूरी करने के नोटिस का जवाब देने के बावजूद अभी तक डीईओ कार्यालय से कोई जानकारी नहीं दी गई है।