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मिट्टी से बोरियां भरकर सुधार रहे विसर्जन कुंड के लीकेज!

बारिश में टूटे विसर्जन कुंड को सुधारने के लिए मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है।

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अशोकनगर. बारिश में टूटे विसर्जन कुंड को सुधारने के लिए मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। कुंड से पानी बहने से रोकने के लिए मिट्टी से बोरियां भरकर लीकेज सुधारे जा रहे हैं, लेकिन मूर्तियों के विसर्जन के लिए पानी से फुल भरने से कुंड पर दुर्घटना की आशंका भी दिखाई दे रही है। फिर भी जिम्मेदारों का इस पर कोई ध्यान नहीं है।
मूर्ति विसर्जन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर प्रशासन ने तुलसी सरोवर के पास विसर्जन कुंड का निर्माण कराया था। इसके लिए गड्ढ़ा खोदकर सीमेंट कांक्रीट से दीवारें बनाई गईं और फर्श भी सीसी से बनाया गया था। दो साल पहले बनकर तैयार हुए इस कुंड की दीवारें बारिश के दौरान टूट गईं और इससे इनमें पानी रुकना बंद हो गया है। जबकि गणेशोत्सव के समापन पर इसमें गणेशजी की प्रतिमाओं का विसर्जन होना है। इसके लिए प्रशासन ने मरम्मत कार्य शुरू कर दिया है।

नपा कर्मचारियों ने मिट्टी से बोरियां भरी बोरियों को जेसीबी से कुंड तक पहुंचाया। साथ ही कुंड की साफ-सफाई भी कराई गई। लेकिन अब लीकेज से दुर्घटना की आशंका है। मंगलवार को नपा कर्मचारियों ने करीब एक सैकड़ों बोरियों को मिट्टी से भरा और दीवारों की टूटी हुई जगह पर इन्हें रखा गया। लेकिन मूर्तियों के विसर्जन के लिए कुंड के फुल भरे जाने से जहां लीकेज तो जारी रहने की आशंका तो है ही, वहीं लीकेज की वजह से दुर्घटना की भी आशंका बनी हुई है। क्योंकि रात के समय विसर्जन के दौरान कुंड की दीवारों के पास श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। वहीं टूटी दीवारों के पास निकले सरिया भी समस्या बढ़ा सकते हैं। इसके लिए प्रशासन को गंभीरता दिखाते हुए सुरक्षा इंतजाम करना चाहिए। गणेशोत्सव के समापन के समय मूर्ति विसर्जन के दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए कुंड के पास की हाईमास्क लाइट को भी सुधारने का काम शुरू हो गया है। ताकि कुंड और रास्तों पर उजाले की पर्याप्त व्यवस्था रहे।

पुजारी संघ की नाराजगी के बाद सफाई
20 सितंबर को विमानोत्सव का कार्यक्रम होगा, परंपरा अनुसार शहर में विमानों में भगवान को विराजमान कर तुलसी सरोवर ले जाया जाता है। जहां पर भगवान को जल विहार कराया जाता है। लेकिन इस बार पुजारी संघ ने तालाब में गंदगी को देखकर नाराजगी जताई थी और तुलसी सरोवर में भगवान को जल विहार न कराने का निर्णय लिया था। इस पर प्रशासन ने सरोवर के घाटों पर झाडिय़ों की सफाई शुरू कर दी। वहीं तुलसी सरोवर के पानी से पॉलीथिन-कचरा सहित गंदगी को निकालकर बाहर फेंका गया।