
Afghan media sensationally claim Taliban chief Haibatullah killed in Pakistan months ago
काबुल। अफगानिस्तान में शांति बहाली को लेकर अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता का दौर जारी है। हालांकि इसके बावजूद भी हमलों का सिलसिला नहीं थम रहा है। इस बीच अफगानी मीडिया ने एक सनसनीखेज दावा किया है। रविवार को अफगानी मीडिया में ये दावा किया गया है कि तालिबानी नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा मारा गया है।
मीडिया रिपोर्टस में ये बताया जा रहा है कि हैबतुल्ला पिछले साल पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए विस्फोट में मारा गया था। हालांकि तालिबान के वरिष्ठ नेता अहमदुल्ला वसीक ने अखुंदज़ादा की मौत की खबरों को 'झूठी खबर और आधारहीन अफवाह' बताया है।
उन्होंने कहा कि तालिबान प्रमुख अब भी जिंदा है। फिलहाल, किसी भी सरकारी एजेंसी या अफगान सेना की ओर से हैबतुल्ला के मारे जाने की पुष्टि नहीं कई गई है। लेकिन यदि अखुंदज़ादा के मारे जाने की खबर सही है तो वह पाकिस्तान में मुल्ला उमर और मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत के बाद तीसरा तालिबान प्रमुख होगा, जो अफगानिस्तान से बाहर मारा गया है।
सूत्रों का हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि महीनों पहले बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक घर में हुए विस्फोट में अखुंदज़ादा तालिबान के खुफिया प्रमुख मुल्लाह मतिउल्लाह और हाफ़िज़ अब्दुल मजीद के साथ मारा गया था।
अप्रैल 2020 में हुआ था धमाका
रिपोर्ट में ये बताया गया है कि जिस घर में धमाका हुआ था वह घर मजीद का था। इस हमले में अखुंदज़ादा और मतिउल्लाह की तो तुरंत ही मौत हो गई थी, लेकिन माजिद की मौत दो या तीन दिन बाद पाकिस्तान के मिल्ट्री हॉस्पिटल में हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, यह धमाका अप्रैल 2020 में हुआ था। नाम जाहिर न करने की शर्त पर लोगों ने पुष्टि की है कि यह ब्लास्ट माजिद के घर में हुआ था। इसमें कुछ और वरिष्ठ तालिबान नेताओं के मारे जाने की आशंका भी है।
तालिबान ने बताया अफवाह
बता दें कि जैसे ही रविवार को अखुंदज़ादा की मौत की खबरें समाचार चैनलों में आने लगी तो फौरन तालिबान की ओर से स्पष्टीकरण सामने आ गया। तालिबान के वरिष्ठ नेता अहमदुल्लाह वसीक ने ट्वीट करते हुए कहा, “यह झूठी खबर है और इन आधारहीन अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। इस तरह की अफवाहें और झूठी खबरें फैलाना दुश्मन की खुफिया सेवाओं द्वारा एक असफल प्रचार का प्रयास है। दुश्मन इस तरह की अफवाहों में अपनी हार को छिपाना चाहता है और लोगों के मन को विचलित करना चाहता है।"
बता दें कि इससे पहले भी अखुंदजादा की मौत को लेकर पहले भी ऐसी खबरें सामने आई हैं, जो गलत साबित हुई हैं। मालूम हो कि इससे पहले पाकिस्तान में 2013 में मुल्ला उमर की मौत को तालिबान ने लगभग दो साल तक लोगों से छिपाकर रखा था। इसके बाद इस समूह ने जुलाई 2015 में अफगानिस्तान की जासूसी एजेंसी के विकास के साथ सार्वजनिक रूप से मृत्यु की पुष्टि की। मुल्ला उमर के उत्तराधिकारी, मुल्ला अख्तर मंसूर मई 2016 में बलूचिस्तान में अमरीकी ड्रोन हमले में मारा गया था।
Updated on:
15 Feb 2021 12:25 am
Published on:
15 Feb 2021 12:03 am
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