
अफगानिस्तान में हिंदू और सिख।
काबुल। अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय का जीना मुहाल है। दोनों पर आतंकी संगठन आईएस के हमले हो रहे हैं। उन्हें जान से मारने की धमकियों मिल रही हैं। करीब ढाई लाख की आबादी से ज्यादा हिंदू और सिख इस देश में रहते थे। अब ये घटकर मात्र 700 के करीब पहुंच चुके हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस देश में सिखों और हिंदुओं के साथ अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
अफगानिस्तान से पूरी तरह निकल सकते हैं हिंदू-सिख
हिंदू और सिख समुदाय के लोगों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार से पर्याप्त सरंक्षण नहीं मिलता है तो उन्हें आईएस के हमलों के कारण पूरी तरह से पलायन करना पड़ सकता है। कई अल्पसंख्यकों का कहना है कि वे अब यहां और रुकने में समर्थ नहीं हैं।
आईएस के हमले में 25 सिखों की मौत
हाल ही में एक मंदिर पर हुए हमले में कई लोग मारे गए। इस हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी। एक अल्पसंख्यक का कहना था कि अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना कितना दर्दनाक होता है, ये कल्पना करना कठिन है।
एक ही मंदिर में रह रहे हैं हिंदू-सिख
सिख और हिंदू दो अलग-अलग धर्म हैं। इसके बावजूद दोनों धर्म के लोग एक मंदिर में एकत्र होकर रहते हैं। इनकी संख्या बेहद कम है। इस कारण ये सभी एक छोटे से मंदिर में एकत्र होकर एक साथ रह रहे हैं। इस दौरान वे अपने धर्म के अनुसार उपासना करते हैं। एक अल्पसंख्यक का आरोप है कि इस रूढ़िवादी मुस्लिम देश में उनके समुदाय को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यहां की सरकार भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेती है।
हिंदू मंदिरों को किया तबाह
इन समुदाय के तमाम लोगों के घरों को जब्त कर लिया गया है। उन्हें जबरन घर से निकाल दिया गया है। ऐसे में ये लोग पूरी तरह से देश छोड़कर जाने को मजबूर हैं। अफगान में 1992-96 के दौरान काबुल में हिंदूओं के मंदिर तबाह कर दिए गए। उस दौरान कई हिंदू और सिख अफगानियों को देश छोड़कर जाना पड़ा था।
Updated on:
28 Sept 2020 10:16 am
Published on:
28 Sept 2020 10:12 am
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