
आसिया बीबी
लाहौर। पाकिस्तान की आतंक रोधी अदालत ने आसिया बीबी की रिहाई के फैसले के विरोध में उनके भाई,भतीजे और 84 अन्य लोगों को 55 वर्ष जेल की सजा सुनाई है। इसके साथ कोर्ट ने सभी दोषियों पर एक लाख 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला को बरी किए जाने को लेकर हिंसक रैलियां निकाली गईं। इन रैलियों में हिस्सा लेने के मामले में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी, उनके भाई, भतीजे और 84 अन्य लोगों को 55 साल जेल की सजा सुनाई है।
शुक्रवार को पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला को बरी किए जाने के बाद रैलियां निकाली गई थीं। गुरुवार की रात को रावलपिंडी की एक अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। ममाले में सुनवाई एक साल से ज्यादा समय तक चली।
टीएलपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 2018 में ईसाई समुदाय की आसिया बीबी को ईशनिंदा मामले में उच्चतम न्यायालय से बरी किए जाने पर हिंसक प्रदर्शन किया था। रावलपिंडी की कोर्ट ने दोषियों की संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया है।
अदालत ने 86 दोषियों को कुल मिलाकर चार हजार, 738 साल जेल की सजा दी है। उन्हें एक करोड़, 29 लाख, 25 हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया। अदालत के फैसले के बाद दोषियों को तीन वाहनों में कड़ी सुरक्षा के बीच अटक जेल भेज दिया गया है।
टीएलपी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी के अनुसार सजा को चुनौती दी जाएगी। अशरफी का कहना है कि न्याय नहीं हुआ। हम फैसले को चुनौती देंगे। 86 लोगों पर संपत्ति को खराब करने, हिंसा फैलाने और आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ सामान्य जनजीवन को बाधित करने का आरोप है।
Updated on:
18 Jan 2020 11:10 am
Published on:
18 Jan 2020 11:07 am
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