
चीन: जियांग्जी प्रान्त में शवों को दफनाने पर रोक, जगह की कमी के कारण जलाने के आदेश
बीजिंग। दक्षिण-पूर्व चीन के जियांग्जी परान्त में अधिकारियों ने शवों को दफनाने की जगह जलाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद सुरक्षा और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने लोगों के घरों के अंदर घुसकर रखे गए ताबूतों और अन्य सामग्रियों को नष्ट कर दिया। बाद में घटना के वीडियो वायरल होने पर अधिकारियों को अपनी नीति में नरमी बरतने का आदेश दिया गया। बुजुर्ग ग्रामीणों के प्रसारित वीडियो के बाद "शून्य-दफन" की नीति को नियंत्रित रूप में चालू रखने का आदेश दिया गया है। वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह अधिकारी ताबूतों को घरों से खींच कर नष्ट कर रहे हैं।
जमीन की कमी
जियांग्ज़ी प्रांत में बड़े पैमाने पर जमीन की कमी है। पहाड़ों और घने जंगलों से घिरे इस इलाके में जमीन का संकट काफी पहले से है। अधिकारियों का मानना है कि ऐसे में दिन-ब-दिन फैलते कब्रगाहों के चलते यहाँ जमीन की किल्ल्त और बढ़ जएगी।अधिकारियों ने इसके लिए बड़े पैमाने पर अंतिम संस्कार सुधारों के लिए लोगों का आह्वान किया है। इसमें 1 सितंबर तक परंपरागत दफन ग्राउंड्स को चरणबद्ध रूप में श्मशान में बदलना शामिल है।
जियांग्जी में विरोध शुरू
ग्रामीण चीन में परिवार अपने प्रियजनों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले और हस्तनिर्मित ताबूत खरीद कर उन्हें घर पर संगृहीत कर लेते हैं। पहले खरीदे गए ताबूतों को चीन में अच्छी किस्मत और दीर्घायु लाने वाला माना जाता है। अफसरों द्वारा बुधवार को ताबूत तोड़े जाने की देशभर में आलोचना हो रही है। गांववालो ने अधिकारियों को ताबूत तोड़ने से रोकने की भी कोशिश की। इसके चलते कुछ हिंसा की घटनाएं भी हुईं। विरोध के बावजूद सरकार नए नियम को लागू करने पर अडिग है। लोगों से घर में रखे ताबूत सरकार को दे कर इसके बदले में 2000 युआन लेने का हुक्म सुनाया गया है।
बता दें कि शवों को जलाने का फैसला पहले भी कुछ प्रांतीय सरकारों ने लिया था, लेकिन इसका व्यापक पैमाने पर विरोध किया गया । इससे पहले 2014 में आन्हुई प्रांत में इस तरह का फरमान जारी हुआ था लेकिन इससे पहले ही छह बुजुर्गों ने खुदकुशी कर ली।
माओ भी दफन के विरोधी
चीन के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले माओत्से तुंग भी मुर्दों को दफनाने के विरोधी थे। 1956 में उन्होंने शवों को जलाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इसके लिए कोई नीति नहीं बन पाई। माओ ज़ेडोंग ने पारंपरिक अंतिम संस्कार परंपराओं को "सामंती अंधविश्वास" कहा था। अब अधिकारियों ने ग्राउंड दफन से दूर जाने के लिए निवासियों को विश्वास दिलाने के विभिन्न तरीकों की कोशिश की है। फैलते कब्रिस्तान की समस्या से निपटने के लिए स्थानीय सरकारें श्मशान, समुद्री दफन, पेड़ पर दफन और ऊर्ध्वाधर दफन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं।
Published on:
02 Aug 2018 11:34 am
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