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चीन ने फिर बढ़ाई भारत की चिंता, डोकलाम में बनाई 1.3 किलोमीटर सड़क

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। यह चीन की चालाकी का ही नतीजा है कि उसने दक्षिणी डोकलाम तक सड़क का निर्माण कर लिया है।

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Mohit sharma

Mar 20, 2018

doklam

नई दिल्ली। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। यह चीन की चालाकी का ही नतीजा है कि उसने दक्षिणी डोकलाम तक सड़क का निर्माण कर लिया है। इस सड़क का निर्माण कार्य चीन ने सर्दियों में शुरू किया था और अब वह दक्षिणी डोकलाम तक आ पहुंचा है। बता दें कि डोकलाम भूटान का एक क्षेत्र है। चीन ने जून 2017 में डोकलाम क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य शुरू किया था। भूटान की ओर से आपत्ति जताई जाने और भारत के हस्तक्षेप की मांग पर भारतीय सेना ने यह सड़क निर्माण कार्य बंद करा दिया था, जिसके बाद भारत और चीन के बीच तनाव पैदा हो गया था।

भारत के लिए चिंता का विषय

वहीं, चीन की ओर से किए गए सड़क निर्माण कार्य को सुरक्षा विशेषज्ञ बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी सैनिक यदि डोकलाम में आगे की तरफ बढ़ते हैं, तो सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए यह चिंता का विषय है। दरअसल, अगस्त 2017 में डोकलाम विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच बढ़ी तनातनी के खात्मे के बावजूद चीनी सैनिक ठंठ के मौसम में वहीं डटे रहे और सड़क निर्माण कार्य को अंजाम दे डाला। भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि चीनी सैनिकों की ओर से बनाई गई सड़क भारतीय चौकियों से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर ही हैं। ऐसे में चीनी सैनिकों का भारतीय चौकियों तक पहुंचा ज्यादा मुश्किल नहीं है। अब इस क्षेत्र में चीनी सैनिकों की गतिविधि तेज हो गई है और वहां हेलिपैड और चौकियों का निर्माण किया जा रहा हैं

नियुक्त किया वार्ताकार

वहीं, चीन के विदेश मंत्री वांग यी को भारत के साथ सीमा वार्ता के लिए प्रमुख वार्ताकार नियुक्त किया गया है। इससे पहले चीन ने उन्हें देश के शीर्ष राजनयिक पद स्टेट काउंसिलर पर नियुक्त किया था। वांग चीन के वरिष्ठतम राजनयिक यांग जीची के स्थान पर नियुक्त किए गए हैं, जो अब तक भारत के साथ सीमा वार्ता पर देश के विशेष प्रतिनिधि थे। वहीं वांग विदेश मंत्री भी रहेंगे, लेकिन यांग की भूमिका निश्चित नहीं है। तेजतर्रार यांग पिछले साल कम्युनिस्ट पार्टी के शक्तिशाली पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के लिए चुने गए थे।वांग भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी वार्ता करेंगे, जो सीमा वार्ता पर नई दिल्ली के विशेष प्रतिनिधि हैं। चीन और भारत के बीच 3,448 किलोमीटर लंबे विवादित सीमा मुद्दे पर अब तक 20 दौर की वार्ता हो चुकी है। दोनों देशों के बीच 1962 में युद्ध हुआ था और दोनों देशों की सेनाओं को कई बार एक-दूसरे की सीमा में प्रवेश करते देखा गया है।