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उइगर मुसलमानों पर चीन कर रहा ज्यादती, जबरन मजदूरी के काम में झोंका जा रहा

मुस्लिम बहुल गांव के नागरिकों को जबरन सरकार द्वारा कुछ खास नौकरियों के लिए भर्ती किया जा रहा है

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कशगर।चीन में उइगर मुसलमानों पर प्रशासन की सख्ती जारी रखी है। ड्रैगन ने उन पर तरह—तरह के प्रतिबंधों के साथ बेहद सख्त रवैया अपना रखा है। चीन के अधिकारियों की ओर से बेहद सख्त और तात्कालिक कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। मुस्लिम बहुल गांव के नागरिकों को जबरन सरकार द्वारा कुछ खास नौकरियों के लिए भर्ती किया जा रहा है। भले ही उनकी इच्छा हो या नहीं।

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इसके लिए निर्धारित कोटा भी तय किए गए हैं और नौकरी नहीं करने पर परिवारों के लिए जुर्माना भी तय कर दिया है। लेबर ब्यूरो ऑफ क्वापकाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे लोगों को काम पर लगाया जाएगा जो अपने निहित स्वार्थ और विचार के कारण इससे दूर हैं।

चीन के शिनझियांग प्रांत में बड़ी संख्या में मुस्लिम अल्पसंख्यक रहते हैं। उइगर और कजाक मुस्लिम वर्ग पर चीन की सख्ती का सिलसिला लगातार जारी है। मुस्लिम नागरिकों को फैक्ट्रियों और कारखानों में कामगार के तौर पर लगाने के लिए यह अभियान जारी है।

चीन सरकार ने गरीब किसान और छोटे व्यापारियों पर काफी दबाव बना रखा है। वह अपना कामकाज छोड़कर वर्कशॉप में हिस्सा ले रहे हैं। कुछ सप्ताह और कई महीनों तक चले वर्कशाप के बाद मुस्लिम कामगारों को जूते बनाने, कपड़े सिलने, गली साफ करने जैसे काम में लगाया जा रहा है।

कई सख्त कार्यक्रम चला रहा है

चीन की सरकार अपने अल्पसंख्यकों के लिए कई सख्त कार्यक्रम चला रहा है। इनमें सोशल इंजिनियरिंग के साथ शिविरों में प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं। इन शिविर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में 10 लाख से अधिक मुस्लिम लोगों को भर्ती किया गया है।

मुस्लिम कामगारों के लिए जारी किया निर्देश

क्वापकाल श्रम ब्यूरो के अनुसार ग्रामीणों को सैन्य शैली का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि ये आज्ञाकारी कामगार बन सकें। लेबर ब्यूरो के आदेश में यह भी कहा गया है कि कुशल कामगार होने के साथ ही रोजगार देने वाले और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार बनाना भी प्रशिक्षण में शामिल है।

मुस्लिम आबादी बहुल गांवों को बताया खतरा

चीन की सरकार की ओर से इन्हें सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा करार दिया गया है। इस बेरोजगार आबादी सरकारी योजना के तहत विभिन्न कामों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार इस आबादी को धार्मिक अतिवाद से दूर रखने की कोशिश है। सरकारी सूची में इन लोगों के लिए कामगार और वॉलिंटयर्स का प्रयोग किया गया है।