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नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ाने तथा पड़ोसियों पर अपनी धाक जमाने के लिए चीन कई तरह के कूटनीतिक हथकंडे अपना रहा है। इसी के तहत चीन ने एक और चाल चली है। हाल ही में पाकिस्तान के छोटे से तटीय शहर ग्वादर के लिए चीन ने पचास करोड़ डॉलर यानी लगभग 3300 करोड़ रुपए दिए हैं। जानकारों का कहना है कि छोटे से शहर को इतनी बड़ी रकम देने के पीछे चीन की कूटनीतिक चाल है। इससे वे पाकिस्तान में अपने पैर जमाना चाहता है। चूंकि ये क्षेत्र कमर्शियली रूप से महत्वपूर्ण है। चीन यहां मैगापोट बनाकर दुनिया भर में निर्यात करना चाहता है। हालांकि भारत और अमरीका चीन की इस चाल से चिंतित हैं। दोनों देश जानते हैं कि इसके बाद चीन ग्वादर को नौसेना के बेस के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। चूंकि ऐसी खबरें सामने आई थीं, जिनमें कहा गया था कि चीन ग्वादर में नौसेना बेस तैयार करने की याेजना पर काम कर रहा है। अमरीका को चिंता है कि चीन यहां से अमरीकी नौसेना के प्रभुत्व को भी चुनौती दे सकता है।
पाकिस्तान पर कब्जे की है योजना!
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- दरअसल चीन पाकिस्तान पर कब्जे के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा है। तभी वह ग्वादर में कई महत्वकांशी योजनाओं पर काम कर रहा है। ये जगह अरब सागर के तट पर स्थित है और दुनिया के व्यस्त समुद्री रूट के रूप में जाना जाता है। ये कमर्शियल तौर पर भी चीन के लिए महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट्स के अनुसार- पेइचिंग ने ग्वादर में स्कूल बनवाया है, डॉक्टरों को भेजा है। यहां तक कि एयरपोर्ट, अस्पताल, कॉलेज और पानी के लिए इन्फ्रस्ट्रक्चर बनाने के लिए ये ग्रांट दी है।
इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने को भी दी थी ग्रांट
यहां से प्राकृतिक तेल और गैस का परिवहन होता है। यहां से चीन पश्चिमी क्षेत्र से जुड़ने के लिए एनर्जी पाइपलाइन्स, सड़कों और रेल का लिंक का जाल बिछाने की योजना बनाएगा। खबरों के अनुसार यहां पर नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने के लिए इससे पहले चीन ने 23 करोड़ डॉलर यानी करीब 1500 करोड़ रुपए की ग्रांट भी दे चुका है। बताया जा रहा है कि चीन की तरफ से किसी भी देश में इस तरह के प्रॉजेक्ट के लिए दी जाने वाली ये सबसे बड़ी मदद है।
पाकिस्तान ने मदद का स्वागत किया है
पाकिस्तान ने भी चीन की इस मदद का स्वागत किया है। पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना है कि यहां से अगले साल 12 लाख टन कारोबार की उम्मीद है, जो 2022 तक बढ़कर 1.3 करोड़ टन तक पहुंच सकती है। वॉशिंगटन के जर्मन मार्शल फंड थिंक टैंक के शोधकर्ता और चीन-पाकिस्तान संबंधों के विशेषज्ञ एंड्रूय स्माल के अनुसार- चीन की इन गतिविधियों से इशारा मिलता है कि ग्वादर उसके लिए केवल कमर्शियल तौर पर ही महत्व नहीं रखता। दरअसल चीन अपने बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 60 से ज्यादा देशों में ट्रेड के लिए नए जल और सड़क मार्गों को विकसित रकने की याजना पर काम कर रहा है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) को भी इसके एक हिस्से के रूप में ही देखना होगा।
चुनौतियां भी हैं
ग्वादर में चीन के लिए काफी चुनौतियां भी हैं। यहां पीने के पानी की गंभीर समस्या के साथ-साथ बिजली की समस्या है। साथ ही चीन के सामान को यहां पाकिस्तानी अलगाववादियों के विद्रोह का सामना भ्ज्ञी करना पड़ सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार खनिज के मामले में समृद्ध बलूचिस्तान पाकिस्तान का गरीब इलाका है। ग्वादर और बलूचिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट से स्थानीय लोग संतुष्ट नहींं। अलगाववादी इसका फायदा उठा सकते हैं।
Published on:
18 Dec 2017 05:16 pm
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