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चीन ने की अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस की रेकी, भारत की चिंता बढ़ी

दावा किया जा रहा है कि अमरीकी सेना के बेस रहे बगराम एयरबेस पर चीन का एक प्रतिनिधिमंडल गया था। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चीन के शीर्ष खुफिया और मिलेट्री टीम ने बगराम एयरबेस की यात्रा क्यों की है।  

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नई दिल्ली।

अमरीकी सेना के अफगानिस्तान से जाने और तालिबान के पूरे देश पर कब्जे के बाद चीन और पाकिस्तान की दिलचस्पी यहां तेजी से बढ़ी है। तालिबान में अंतरिम सरकार के गठन के प्रयासों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सक्रिय भूमिका निभाई है। आईएसआई के प्रमुख फैज हामिद काबुल की यात्रा भी कर चुके हैं।

अब दावा किया जा रहा है कि अमरीकी सेना के बेस रहे बगराम एयरबेस पर चीन का एक प्रतिनिधिमंडल गया था। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चीन के शीर्ष खुफिया और मिलेट्री टीम ने बगराम एयरबेस की यात्रा क्यों की है। मगर सूत्रों की मानें तो यह प्रतिनिधिमंडल अमरीका के खिलाफ वहां सबूत और आंकड़े एकत्रित करने गया हुआ था।

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सूत्रों के अनुसार, चीन की सरकार तालिबान और पाकिस्तान के साथ मिलकर वहां खुफिया व्यवस्था तैयार कर रही है। इसके तहत वह चीन में रह रहे उइगर मुस्लिमों को मिलने वाले किसी भी तरह के समर्थन पर निगाह रख सकेगी। कहा यह भी जा रहा है कि चीन के इस प्रतिनिधिमंडल का लाने वाला जहाज पाकिस्तान होते हुए आया, क्योंकि यह जहाज काबुल एयरपोर्ट पर नहीं देखा गया।

वैसे, एक्सपर्ट की मानें तो बगराम एयरबेस पर चीन के प्रतिनिधिमंडल का पहुंचाना भारत के लिए भी चिंता की बात हो सकती है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत चीन के इस समूह के यात्रा ब्योरे को खंगाल रहा है। चीन यदि पाकिस्तान के साथ मिलकर अपना कोई एयरबेस शुरू करने की योजना बना रहा है तो यह गंभीर मामला है। इससे क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां भी बढ़ेगी।

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इससे पहले, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख फैज हामिद ने सितंबर महीने की शुरुआत में रूस, चीन, ईरान औैर ताजिकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों से मुलाकात की थी। फैज ने इस मुलाकात के दौरान खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों को तालिबान सरकार से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई थी। चीन उन कुछ देशों में रहा है, जिन्होंने तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद राजनयिक संपर्क स्थापित किया है।