scriptपाकिस्तान चुनाव: आतंक के साए में बदतर होते हालात, किसको वोट करेगा अल्पसंख्यक समुदाय | Eyes on Pakistan minorities votes who are leaving in fear and terror | Patrika News

पाकिस्तान चुनाव: आतंक के साए में बदतर होते हालात, किसको वोट करेगा अल्पसंख्यक समुदाय

locationनई दिल्लीPublished: Jul 24, 2018 09:26:46 am

पाकिस्तान का अल्पसंख्यक इन चुनावों में बेहतर प्रतिनिधित्व की उम्मीद लगाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार संसद में जो लोग चुनकर जाएंगे वह उनके हितों की बात देश के सबसे बड़ी पंचायत में कर सकेंगे।

Pakistan minorities

पाकिस्तान चुनाव: आतंक के साए में बदतर होते हालात, किस तरफ वोट करेगा अल्पसंख्यक समुदाय

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में 25 जुलाई को नेशनल असेम्बली के लिए वोट डाले जा रहे हैं। बुधवार को होने वाले चुनाव के लिए चुनाव प्रचार सोमवार शाम थम गया। सभी पार्टियां इन चुनावों में अपनी अपनी जीत के दावे कर रहीं हैं। इस बीच सबकी नजर पाकिस्तान में वोटरों के एक खास वर्ग पर केंद्रित हो गई है। पाकिस्तान का अल्पसंख्यक समुदाय किस तरफ वोट करेगा, इन चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा।
पाकिस्तान चुनाव: थम गया प्रचार, आखिरी दिन राजनीतिक दलों ने झोंकी पूरी ताकत

किधर जाएगा पाकिस्तान का अल्पसंख्यक वर्ग

पाकिस्तान का अल्पसंख्यक इन चुनावों में बेहतर प्रतिनिधित्व की उम्मीद लगाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार संसद में जो लोग चुनकर जाएंगे वह उनके हितों की बात देश के सबसे बड़ी पंचायत में कर सकेंगे। अल्पसंख्यकों का कहना है कि वो हमेशा से छले गए हैं। उनकी इच्छा है कि इस बार लोग नेशनल एसेम्ब्ली में ऐसे लोग पहुंचें, जो उनके हकों की आवाज बुलंद कर सकें। बता दें कि मुस्लिम बहुल पाकिस्तान इस्लामी कानून के अनुसार शासन होता है। ऐसे में अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों की बात देश के सामान्य प्रशासन में कम ही सुनी जाती है। इसके अलावा देश में धार्मिक कटटरता बढ़ने से अल्पसंख्यकों में डर व्याप्त है। बता दें कि पाकिस्तान की 20 करोड़ आबादी में अल्पसंख्यक समुदायों की हिस्सेदारी महज 4 फीसदी है।
क्या है अल्पसंख्यकों का चुनावी गणित

पाकिस्तान की कुल आबादी 20 करोड़ है जिसमें अल्पसंख्यक समुदायों की हिस्सेदारी 4 फीसदी है। पाकिस्तान के मुस्लिम समुदाय में शिया मुसलमानों की आबादी 20 पर्सेंट है। इस लिहाज से वह भी अल्पसंख्यक ही माने जाते हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं हैं। देश की 342 नेशनल एसेम्बली में और सूबों की विधानसभाओं में अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिधित्व बढ़ा है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की संख्या इन चुनावों में बढ़ी है।
भारत बना अमरीका का दुश्मन, युद्घ में चीन का देगा साथ

आतंकियों के निशाने पर अल्पसंख्यक

25 जुलाई को होने वाले मतदान के लिए अल्पसंख्यकों को रोकने के लिए आतंकी संगठन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में अल्पसंख्यक अपने भविष्य और वोट देने को लेकर बेहद डरे हुए हैं। पंजाब और सिंध जैसे सूबों में स्थिति कुछ हद तक ठीक है लेकिन बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह जैसे राज्यों मेंअल्पसंख्यकों ले लिए चुनौतियां बढ़ी हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की चिंता यह है कि कट्टर धार्मिक दलों और कट्टर समूहों के चुनाव मैदान में उतरने की वजह से वह और भी असुरक्षित हो गए हैं। ऐसे में अगर यह लोग चुनाव जीतकर नेशनल असेम्ब्ली में गए तो देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों की बाढ़ आ जाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो