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हांगकांग: प्रत्यर्पण बिल को सरकार ने अनिश्चित समय के लिए टाला, चीन ने किया समर्थन

सरकार ने टाला हांगकांग का विवादित प्रत्यर्पण बिल सलाहकारों और राजनेताओं ने बिल पर चर्चा को टालने की दी नसीहत बिल के चलते लंबे समय से जारी है शहर में संग्राम, 70 से अधिक घायल

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हांगकांग। चीन के अर्ध-स्वायत्त (Semi-Autonomous) वाले क्षेत्र हांगकांग के विवादित 'प्रत्यपर्ण बिल' ( Extradition Bill ) को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। जानकारी मिल रही है कि सरकार इस बिल को निरस्त कर सकती है। हांगकांग की नेता कैरी लैम ( Carrie Lam ) ने इसे अनिश्चित समय के लिए टालने का फैसला सुनाया है। बता दें कि लोगों के भारी विरोध और शहर में जारी हिंसक झड़पों के बीच सरकार ने यह फैसला लिया। लैम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फैसले की जानकारी दी।

चीन ने हांगकांग प्रत्यर्पण विधेयक के निलंबन का समर्थन किया है। चीन की ओर से शनिवार को कहा गया है कि वह हांगकांग सरकार के फैसले का समर्थन करता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि सरकार का यह फैसला समुदाय के विचारों को अधिक व्यापक रूप से सुनने और जल्द से जल्द शांति बहाल करने का प्रयास है। उन्होंने आगे कहा कि हम इस फैसले का समर्थन करते हैं, सम्मान करते हैं और समझते हैं।

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इस तरह बदले बिल पर सरकार के तेवर

दरअसल, शुक्रवार को ही इस प्रत्यपर्ण बिल को मिल रहा समर्थन अचानक लड़खड़ा गया था। कई बीजिंग समर्थक राजनेताओं और एक वरिष्ठ सलाहकार ने भी यही राय दी कि इस बिल पर चर्चा टाल देना ही बेहतर होगा। इसके बाद इस बिल को सस्पेंड किए जाने की खबरें सामने आईं।

बता दें कि इस प्रस्तावित बिल के तहत हांगकांग के संदिग्धों और आरोपियों को चीन प्रत्यर्पित करने का प्रावधान है। हांगकांग के लोगों ने बिल से राज्य की कानून प्रणाली की स्वतंत्रता पर खतरा बताते हुए, इसके खिलाफ मोर्च खोल दिया।

कैरी लैम की प्रेस कॉन्फ्रेंस

हांगकांग के कई मीडिया रिपोर्ट ने पहले ही संभावना जताई कि शनिवार को यह बिल सस्पेंड किया जा सकता है। इसके बाद तीन दिनों से मीडिया और सार्वजनिक स्थलों से दूर रहीं लैम ने दोपहर में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी माना कि बिल के चलते समाज में काफी दरार आई। लैम ने बताया बिल को अनिश्चित समय के लिए टाला जा रहा है। इस अंतराल में बिल से संबंधित हर पहलू पर विचार किया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले लैम ने इस मामले पर बात करते हुए बिल को लेकर हुए हिंसा को सोची-समझी साजिश का परिणाम बताया था। साथ ही लैम ने सफाई दी थी कि उन्होंने 'देश का सौदा चीन से नहीं किया।' हालांकि बुधवार के अपने इस संबोधन के बाद न तो उन्होंने कोई टिप्पणी की है, और नाही वो सार्वजनिक स्थलों पर देखी गईं।

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सरकार कर रही है साजिश?

कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि लैम ने सिर्फ इस बिल को कुछ समय के लिए टाला है ताकि विरोध कर रही शक्तियां कमजोर हो सकें। आशंका जताई जा रही है कि इस बिल को दोबार जुलाई में लागू करने की कोशिश की जा सकती है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि, 'सरकार की योजना है कि बिल को टालने के बाद प्रदर्शनकारियों की संख्या में कमी आ सकती है, जिसका फायदा उठाकर सरकार अपने मकसद में कामयाब हो सकती है।'

बीते रविवार से जारी है विरोध, 72 हुए घायल

बीते रविवार इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। इसके बाद से ही इस पर विवाद जारी है। बुधवार को भी प्रदर्शनकारियों ने बिल पर डिबेट करने जा रहे अधिकारियों को रोकने की कोशिश। झड़प बढ़ते देख सुरक्षाबलों ने इनपर आंसू गैस के गोले दागे और रबर बुलेट भी फायर किए। हिंसा में करीब 72 लोग जख्मी हुए हैं, जिनकी उम्र 15 से 66 वर्ष के बीच बताई जा रही है। इनमें से दो आदमियों की हालत बेहद नाजुक है।इस कार्रवाई से शहर में और अधिक उथल-पुथल मच गया और इससे लैम पर भारी दबाव पड़ा। यही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने आगामी रविवार के लिए भी प्रदर्शन की योजना बनाई है।

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क्यों हो रहा है इस बिल का विरोध?

विशेषज्ञों का दावा है कि बिल पास होने के चीनी प्रशासन कभी भी हांगकांग के लोगों को राजनैतिक या अनजाने में हुए व्यावसायिक अपराधों के चलते उन्हें अपने कब्जे में ले सकते हैं। इस कानून के चलते हांगकांग के लोगों पर हर वक्त चीन की चपेट में आने का खतरा बरकरार रहेगा। साथ ही इससे शहर की अर्द्ध स्वायत्त कानून प्रणाली भी कमजोर होगी। यही नहीं संयुक्त राज्य अमरीका और यूरोपीय संघ (EU) ने भी इस बिल की आलोचना की थी। हांगकांग स्थित EU कार्यालय ने इसके विरोध में आधिकारिक रूप से डिमार्श (विरोध पत्र) जारी किया है।

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