
Protest in Hong Kong
लोकतंत्र समर्थकों ( Democracy Supporters ) ने नए साल पर चीनी सरकार के खिलाफ एक विशाल मार्च निकाला और प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान मास्क न पहनने के सरकारी आदेश के खिलाफ जाकर मुखौटे पहनकर अपना विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने इस बीच अमरीका से मदद की गुहार लगाई है।
बता दें कि सरकार ने बीते साल पांच अक्टूबर को आपतकालीन कानूनों को लागू किया था और रैलियों में फेस मास्क पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पुलिस व प्रदर्शनकारियों में झड़प
जब पूरी दुनिया नए साल का स्वागत कर रही थी, तब हांगकांग के सड़कों पर लोकतंत्र समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों ने आधी रात को रैली निकाली। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पर आंसू गैसे के गोल दागे।
प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह ने मोंग कोक में विरोध जताते हुए बैरीकेड में आग लगा दी, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। बता दें कि यह शहर पिछले छह महीने से अशांति की चपेट में है।
आपको बता दें कि हांगकांग में लगातार चीन के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के कारण बीजिंग की मुश्किलें बढ़ने लगी है। हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के कारण हांगकांग ही नहीं चीन की भी अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती दिखाई दे रही है।
लोगों में चीन के प्रति नफरत की भावना बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि लोगों की जुबान पर अब चीन के व्यवसायियों हांगकांग छोड़ो का नारा गूंज रहा है। अब तक बीते सात महीनों से हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में चीन के मूल नागरिक और चीनी छात्र हांगकांग से जा चुके हैं।
प्रदर्शनकारियों ने अमरीका से मांगी मदद
बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने अमरीकी सरकार से मदद मांगी है। इससे पहले अमरीका में हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र अधिनियम, 2019 बिल (Hong Kong Human Rights and Democracy Act) कानून लागू किया गया है। जिसे लेकर चीन अमरीका से खफा है।
इसके अलावा अमरीका ने एक दूसरा विधेयक पास किया जिसमें हांगकांग पुलिस को आंसू गैस, काली मिर्च, रबर बुलेट के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्योंकि पुलिस इन सब का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों पर कर रही है।
अमरीका के इस कदम को लेकर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन कर नाराजगी भी जाहिर की है। चीन लगातार ये कहता रहा है कि हांगकांग का मामला उसका अंदुरूनी मामला है।
साथ ही यह भी कहते रहा है कि ताइवान, हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत पर अमरीका या अन्य किसी दूसरे देश का दखल चीन स्वीकार नहीं करेगा। यदि कोई देश ऐसा करता है तो दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो सकते हैं।
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Updated on:
01 Jan 2020 08:50 pm
Published on:
01 Jan 2020 05:35 pm
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