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LAC पर तनाव बढ़ाने वाला चीन अब जापान से भिड़ा, जापानी नौसेना ने ड्रैगन के सबमरीन को खदेड़ा

Highlights जापान (Japan) केओकिनावा द्वीप के पास एक चीनी पनडुब्बी के होने की पुष्टि की गई, जपान ने जलक्षेत्र से भगाया। साल 2018 में भी जापान ने चीन की पनडुब्बी ( China submarine) को अपनी जलसीमा में पकड़ा था।

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जपान ने जलक्षेत्र से खदेड़ी चीनी पनडुब्बी।

बीजिंग/टोक्यो। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प (India-China Rift) के कुछ दिन बाद अब ड्रैगन ने जापान के जलक्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की। हाल में जापानी जलक्षेत्र में घुसी चीनी नेवी की पनडुब्बी को जापान ने दूर तक खदेड़ दिया।

दरअसल पूर्वी चीन सागर के जिस अहम आइलैंड पर चीन लंबे समय से अपनी नजरें गड़ाए बैठा है उस पर जापान (Japan) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओकीनावा में इशिगाकी सिटी काउंसिल ने एक बिल को मंजूरी दी जिससे सेंकाकुस द्वीप पर जापान के नियंत्रण को मजबूती प्रदान करता है। इस पर चीन ने कड़ा विरोध जताया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जापानी विध्वंसक युद्धपोत कागा ने दक्षिणी जापान में ओकिनावा द्वीप के पास एक चीनी पनडुब्बी के होने की पुष्टि की। इसके बाद बाद हरकत में आई जापानी नौसेना ने अपने पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट की मदद से चीनी पनडुब्बी को खदेड़ दिया। इससे पहले साल 2018 में भी जापान ने चीन की पनडुब्बी को अपनी जलसीमा में पकड़ा था।

चीन ने दी चेतावनी

गौरतलब है कि सिटी काउंसिल के बिल पारित होने से पहले बीजिंग ने टोक्यो को आइलैंड चेन में किसी तरह के बदलाव की चेतावनी दे दी थी। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में भी जापान को हद में रहने को कहा गया था। बीजिंग ने जापान से दियाओयू आइलैंड पर किसी तरह के बदलाव या नए परिवर्तन से बचने की सलाह देते हुए कहा कि पूर्वी चीन सागर में स्थिरता कायम करने के लिए व्यवहारिक कार्रवाई करे. इसके अलावा बीजिंग ने जापान से 'चार-सिद्धांत सहमति' की भावना का पालन करने को भी कहा. उधर जापान के सिटी काउंसिल ने कहा कि यह विधेयक प्रशासनिक प्रक्रियाओं की दक्षता में सुधार करने के लिए आवश्यक है.

पूर्वी चीन सागर के द्वीप को लेकर विवाद

जापान और चीन के बीच पूर्वी चीन सागर के कई द्वीपों को लेकर बीते सालों से विवाद चल रहा है। एक ओर जापान इसे सेंकाकुस कहता है, वहीं दूसरी ओर चीन इसे दियाओयुस कहता है। इसपर वर्ष 1972 से जापान का कब्जा कायम है। वहीं चीन का कहना है कि ये द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं। जापान को अपने दावे को छोड़ देना चाहिए। इतना ही नहीं चीन इसके लिए सैन्य कार्रवाई की घमकी दे चुका है।

चीन-जापान के रिश्तों में 2012 से तनाव देखने को मिल रहा है, जब जापान ने कुछ द्वीपों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। इसके बाद चीन ने जापान से उच्च स्तरीय वार्ताओं को लेकर इंकार कर दिया। गौरतलब है कि सेनकाकू या डियाओस द्वीपों की रखवाली वर्तमान समय में जापानी नौसेना करती है। ऐसे में अगर चीन इस पर अपना दावा ठोका है तो उसे जापान से युद्ध लड़ना होगा।