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चीन के चलते मालदीव ने की भारत से बैर, सेना और हेलीकॉप्टर हटाने की मांग की

ये ऐलान मालदीव के राजदूत ने शुक्रवार को दिल्ली में किया।

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maldives asked india to take helicopters and military men back posted

चीन के चलते मालदीव ने लिया भारत से एक और पंगा, सेना और हेलिकॉप्टर हटाने की मांग की

माले। मालदीव ने चीन के चक्कर में भारत से पंगा ले लिया है। दरअसल मालदीव ने भारत को अपने देश में तैनात हेलीकॉप्टर और सेना को वहां से हटाने के निर्देश दिए हैं। ये ऐलान मालदीव के राजदूत ने शुक्रवार को दिल्ली में किया। बता दें कि भारत के साथ मालदीव का अनुबंध जून में खत्म हो रहा है, जिसके बाद ये कदम उठाने की बात कही है।

चीन को खुश करने के लिए उठाया कदम

आपको बता दें कि पिछले कई दशकों से भारत हिंद महासागर के आसपास बसे छोटे देशों में स्थिरता बनाए रखने के लिए सेना और सुरक्षा संबंधित कई तरह मदद मुहैया कराते आ रहा है। लेकिन अब चीन को खुश करने के लिए मालदीव ने भारत से अपना अनुबंध खत्म कर दिया है। विशेषज्ञों की माने तो मालदीव की अबदुल्ला यामीन सरकार का इस तरह का रवैया भारत के अपमान के तरह देखा जा रहा है।

दोनों देश में मालदीव के लिए होड़

मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि हिंद महासागर द्वीप श्रृंखला में बसे मालदीव को अपनी तरफ करने के लिए भारत और चीन दोनों देशों के बीच मुकाबला जारी है। जहां एक ओर बीजिंग की अपने समीपवर्ती इलाके में सड़कें, पुल और बड़े हवाई-अड्डों का निर्माण करा रहा है, जिससे मालदीव का ध्यान भारत से हटकर उनकी तरफ जा सके। वहीं भारत दशकों से मालदीव को सैन्य और नागरिक सहायता उपलब्ध देता आ रहा है।

इस वजह बदला मालदीव सरकार का रवैया

मालदीव का ये कदम भारत पर पलटवार के रूप में भी देखा जा रहा है। दरअसल भारत ने इस मालदीव के यामीन सरकार की तरफ से राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर की गई कार्रवाई और थोपे गए आपातकाल का विरोध किया था। यही नहीं कुथ प्रतिद्वंदियों ने नई दिल्ली से भी सैन्य सहायता के लिए गुजारिश की थी, जो मालदीव सरकार के चिंता का सबब बना हुआ था।

मालदीव के राजदूत का बयान

इस संबंध में भारत में मौजूद मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने मीडिया को बताया कि भारत की तरफ से जिन दो सैन्य हेलीकॉप्टरों की मदद उपलब्ध कराया था उसे बचाव कार्यों में मेडीकल सहायता के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन अब द्वीपों ने खुद के पर्याप्त संसाधन जुटा लिए हैं ऐसे में उन्हें उनकी और जरूरत नहीं रह गई है। मोहम्मद ने आगे ये भी कहा कि भारत और मालदीव अब भी द्वीपों के विशेष आर्थिक क्षेत्र में हर महीने संयुक्त योगदान कर रहे हैं।