
माउंट एवरेस्ट फतह करने को बढ़ रही है पर्वतारोहियों की संख्या, नेपाल सरकार से परमिट पर नियंत्रण की मांग
काठमांडू।माउंट एवरेस्ट ( mount everest ) को फतह करने के लिए हजारों की संख्या में पर्वतारोही ( Mountaineers ) कोशिश कर रहे हैं और इसके कारण भीड़ बढ़ती ही जा रही है। माउंट एवरेस्ट अभियानों के दौरान अत्यधिक भीड़ के कारण हाल में कुछ भारतीयों की मौत को लेकर सोमवार को एक पर्वतारोही संगठन ने नेपाल सरकार ( Nepal Governmennt ) से मांग की है कि पर्वतारोहियों को जारी किए जाने वाले परमिटों की संख्या को प्रतिबंधित करते हुए नियंत्रित करें। दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर अत्यधिक भीड़ के कारण आठ भारतीय पर्वतारोहियों की मौत के मद्देनजर देश में पर्वतारोहियों के संगठनों की शीर्ष संस्था अखिल महाराष्ट्र गिरिहरन महासंघ ( AMGM ) ने नेपाल सरकार से आग्रह किया है। AMGM ने नेपाल स्थित भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर इसकी मांग की है। पत्र में नेपाल पर्यटन विभाग से मांग की गई है कि पर्वातारोहियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए जारी किए जाने वाले परमिट को प्रतिबंधित करें, पर्वतारोहियों की योग्यता की जांच करें और शिखर सम्मेलन के दौरान अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए आधार-शिविरों में बुनियादी बचाव और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करें।
आठ भारतीयों की हुई थी मौत
बता दें कि AMGM के अध्यक्ष उमेश झिरपे ने कहा कि पहाड़ पर चढ़ने के समय चोटी के कटने से बड़ी संख्या में पर्वतारोहियों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक ट्रैफिक जाम में, थके हुए पर्वतारोही अक्सर एक ही रस्सी पर चढ़ने या उतरने के लिए कई घंटों तक इंतजार करने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे सांस फूलना, थकावट, शीतदंश या ऊंचाई की बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। पर्वतारोही अंतिम चरण के दौरान ऑक्सीजन की कमी से भी जूझने लगते हैं। झिरपे ने आगे कहा कि पहाड़ पर चढ़ने की परमिट जारी करने के लिए नेपाल पर्यटन विभाग की ओर से 11,000 डॉलर का शुल्क लिया जाता है, हालांकि इन परमिटों को जारी करते समय विभाग इस बात पर ध्यान नहीं देता है कि एक समय में कितने पर्वतारोहियों को अनुमति दी जानी चाहिए? बता दें कि इस साल 21 मई को 270 से अधिक पर्वतारोही इस अभियान में शामिल थे, लेकिन फिर मौसम बिगड़ने और चोटी धंसने के कारण कई लोगों को स्वास्थ्य दिक्कतें होने लगी। इसके कारण आठ भारतीय नागरिकों की मौत भी हो गई थी। झिरपे ने आरोप लगाया कि बहुत सारे पर्वतारोहियों को बिना पर्याप्त प्रशिक्षण के ही विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर भेज देते हैं। ऐसे में हादसे होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
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Updated on:
28 May 2019 01:10 pm
Published on:
28 May 2019 01:57 am
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