
Nepal: Prime Minister Oli missing from party's high level meeting held at PM residence
काठमांडू। पड़ोसी देश नेपाल में सियासी ( Nepal Politics ) संग्राम चरम पर पहुंच गया है। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ( Nepal Communist Party ) के अंदर पीएम ओली को लेकर घमासान मचा है। भले ही ओली ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत से पंगा ले लिया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( Prime Minister KP Sharma Oli ) ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ( NCP ) में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत के तीन हिस्सों को अपना बताते हुए देश का नया राजनीतिक नक्शा ( Nepal Political Map ) तक बदल दिया। इसके बावजूद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो पा रही हैं।
पार्टी के अंदर उनके खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गए हैं और अब उनपर दो पदों में से एक को छोड़ने की मांग की जा रही है। बता दें कि पीएम ओली एनसीपी के दो चेयरपर्सन में से एक हैं, जबकि दूसरे पुष्प कमल दहल प्रचंड ( Pushpa Kamal Dahal Prachanda ) हैं। हालिया राजनीतिक घटनाक्रम में प्रचंड और ओली के बीच रिश्ते ठीक नहीं है।
पार्टी की बैठक से गायब रहे पीएम ओली
प्रधानमंत्री ओली के आधिकारिक आवास ( PM House ) पर शुक्रवार को आयोजित एनसीपी की स्थायी समिति की बैठक से गायब रहे। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में ये बताया गया है कि पीएम ओली ने बैठक में शामिल होने के लिए संदेश भेजा था कि वे कुछ देर बाद पैनल के साथ जुड़ेंगे, लेकिन वे नहीं आए।
पार्टी की स्थायी समिति की यह बैठक पहले 7 मई को शुरू होने वाली थी, लेकिन 44-सदस्यीय पैनल के समर्थन के बाद ओली ने इसे रोक दिया था। कई मीडिया रिपोर्ट में ये कहा जा रहा है कि नेपाल का नया नक्शा ( nepal political map ) लाकर ओली अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहते थे और देश में एक ऐसे पीएम के तौर पर अपना कद बढ़ाना चाहते थे, जो भारत जैसे बड़े देश पर भी दबाव बना सकता है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
बीते गुरुवार को जब पीएम ओली स्थायी समिति की पहली बैठक में शामिल हुए तो ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। उल्टा प्रचंड ने खरी-खोटी सुनाई और जमकर आलोचना की। उन्होंने साफ-साफ कहा कि ऐसा लग रहा है, जैसे देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के मॉडल पर चलाई जा रही है। लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे। देश पाकिस्तान मॉडल पर नहीं चलेगा।
पहले भी बैठक को टाल चुके हैं ओली
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार ओली ने नहीं किया है। इससे पहले दिसंबर 2019 में आयोजित पार्टी के स्थायी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को ओली ने टाल दिया था। उन्हें डर था कि कहीं बैठक के दौरान उनकी आलोचना न होने लगे। यही नहीं, 7 मई 2020 को होने वाली स्थायी समिति की बैठक को तो उन्होंने जबरदस्ती स्थगित करवा दिया था।
पीएम ओली को पता है कि 44 सदस्यी स्थायी समिति में केवल 15 सदस्य ही उनके पक्ष में हैं। जिससे अगर वह बैठक में शामिल होते हैं तो उनपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ जाएगा।
Updated on:
27 Jun 2020 11:42 pm
Published on:
27 Jun 2020 07:34 pm
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