
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानीय अधिकारी ने छात्राओं के लिए बुर्के खरीदकर किया। अधिकारी ने सरकारी फंड से एक माध्यमिक सरकारी स्कूल की लड़कियों के लिए ये बुर्के खरीदे। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट अनुसार, घटना से संबंधित तस्वीरों के जारी होने के बाद समूचे पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर अधिकारी की इस हरकत की आलोचना की जा रही है।
स्थानीय सरकार के फंड से खर्च किए हजारों
मामला देश के चीना गांव से सामने आया है। यहां एक जिला कौंसलर ने स्थानीय सरकार के फंड से नब्बे हजार रुपये निकाले और सरकारी स्कूल की बच्चियों के लिए इस पैसे से बुर्के खरीद डाले और उन्हें इनके बीच वितरित किया। मुजफ्फर शाह नाम के इस अफसर ने कहा कि उन्होंने छात्राओं के अभिभावकों के आग्रह पर यह कदम उठाया। यह अभिभावक बुर्का खुद खरीदने की हैसियत नहीं रखते। शाह ने कहा कि उनके चार साल के कार्यकाल के पूरा होने के अवसर पर उन्होंने यह काम किया।
पहले भी इन कामों में खर्च किया है सरकारी फंड
अफसर ने कहा, 'स्कूल की लगभग नब्बे फीसदी लड़कियां पहले से ही बुर्का पहन रही थीं। ऐसे में मैंने सोचा कि बाकी की लड़कियों के लिए मैं ही बुर्के का इंतजाम कर दूं, जो गरीबी की वजह से इन्हें नहीं खरीद पा रही हैं।' शाह ने कहा कि इससे पहले वह ऐसे ही फंड का इस्तेमाल स्कूल के लिए सौर ऊर्जा, एक प्रसाधन गृह बनवाने और नए फर्नीचर की खरीदारी में कर चुके हैं।
सोशल मीडिया पर हुई आलोचना
आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें जारी हुईं, जिनके बाद देश में गुस्सा जताया गया। इनमें एक में बुर्के का ढेर रखा हुआ है और एक में लड़कियां बुर्के में ढंकी नजर आ रही हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक महिला यूजर ने लिखा, 'शिक्षा की हालत सुधारने, उत्पीड़न और दुष्कर्म के खिलाफ कड़े कानून बनवाने पर खर्च करने के बजाए पैसों से बुर्के खरीद लिए गए।'
यही नहीं, इस विवाद पर पाकिस्तान में सरकारी एजेंसियों के उत्पीड़न से परेशान होकर अमरीका पलायन करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल ने ट्वीट किया, 'मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि वक्त बदल रहा है और अधिक से अधिक लोग सुरक्षा के नाम पर महिलाओं को एक वस्तु बना देने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।'
शिक्षा मंत्रालय ने बनवाई जांच समिति
आलोचनाओं पर अधिकारी शाह ने जवाब देते हुए कहा, 'इलाके के लोग तो मुझसे खुश हैं। अगर मैंने लड़कियों के बीच जीन्स बंटवा दी होती तो यही मीडिया और लिबरल लोग मेरी तारीफें करते।' हालांकि, प्रांत के शिक्षा मंत्री जियाउल्ला बंगश ने कहा कि मामले की जांच के लिए समिति बना दी गई है। उन्होंने कहा कि बुर्का कोई स्कूल यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है। लड़कियां चाहें तो बुर्का पहनें और अगर न चाहें तो न पहनें। उनके लिए सिर्फ स्कूल यूनिफॉर्म पहनना जरूरी है जोकि सफेद शलवार और ढीली नीली जंपर है।
Updated on:
09 Oct 2019 02:20 pm
Published on:
09 Oct 2019 02:16 pm
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