ये थी इसके पीछे की बड़ी वजह
उस समय देश की राजधानी को कराची से इस्लामाबाद स्थानांतरित करने के कई कारण गिनाए गए। कहा गया कि उन्हें राजधानी एक ऐसे शहर में चाहिए जहां उससे संबंधित कार्यालयों के लिए पर्याप्त इमारतें होने के साथ-साथ नई इमारतों के लिए भी जगह मौजूद हो। इन्हीं मांगों के कारण साल 1960 में राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान की अगुवाई में उस कार्यकाल वाली सरकार ने राजधानी के लिए रावलपिंडी के पास के इलाके को चुना, जिसे इस्लामाबाद नाम दिया गया। इस प्रांत को राजधानी चुनने की सबसे बड़ी वजह थी कि यह रावलपिंडी और भारत-पाक के बीच विवादित हिस्से कश्मीर से काफी करीब था। कश्मीर को हथियाने के मंसूबे से चली अपनी कूटनीतिक चालों को चलने में सुविधा के लिहाद से पाक ने इस्लामाबाद को देश की राजधानी घोषित कर दी।
कराची इसलिए थी पाक की राजधानी
बंटवारे के बाद कराची को राजधानी बनाने के कई कारण थे। इसमें शहर के काफी बड़ा होने के साथ इससे लगे बंदरगाह मुख्य कारक थे। बंदरगाह बाकी शहरों-देशों से व्यापार करने में मददगार था। इसके साथ ही इस इलाके की कला और सांस्कृति भी कई मायनों में संपन्न मानी जाती थी। लेकिन कश्मीर की लालच में पाकिस्तान ने अपनी राजधानी इस शहर से हटाकर इस्लामाबाद कर दी।
विकास कार्यों के चलते रावलपिंडी को बनाया गया अस्थायी राजधानी
पाकिस्तान ने जल्दबाजी में इस्लामाबाद को राजधानी घोषित करनी चाही, लेकिन विकास कार्यों में आ रहे देरी के चलते रावलपिंडी को ही अस्थायी राजधानी बनाना पड़ा। इसके बाद जब 70 के दशक में इस्लामाबाद में सड़कों का काम पूरा हुआ तो राजधानी को इस्लामाबाद स्थानांतरित कर दिया गया।