
पाक पीएम इमरान खान।
नई दिल्ली। यूरोपीय यूनियन (EU) के दो राजनयिकों का कहना है कि पाकिस्तान वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की ग्रे सूची में ही रहने की उम्मीद ज्यादा है। इसकी वजह है पाकिस्तान द्वारा आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम न उठाना। यह जानकारी यूरोपीय देशों के दो राजनयिकों ने दी है।
एफएटीएफ (FATF) की पेरिस में 16 से 21 फरवरी को कामकाजी समूह की बैठक होने वाली है। वह पाकिस्तान के 27 बिंदु वाले एक्शन प्लान के कार्यान्वयन का आकलन करेंगे। पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में रखा गया था क्योंकि वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान और अल-कायदा जैसे बड़े आतंकी संगठनों को फंड जुटाने से रोकने में नाकाम रहा है।
यूरोपीय देश के एक राजनयिक के अनुसार, इससे पता चलता है कि पाक ने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप अपने आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों को लाने और कानूनी ढांचे में सुधार के लिए कुछ कदम उठाए हैं। लेकिन उसने यूएन द्वारा घोषित आतंकियों पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। ऐसे माना जा रहा है कि वह ग्रे सूची में ही बना रहेगा।
यूरोपीय देश के दूसरे राजनयिक जो आतंक के वित्तपोषण को समाप्त करने के पाक के प्रयासों पर गहराई से नजर रखे हुए हैं, उन्होंने कहा कि देश के एफएटीएफ की अक्तूबर में होने वाली अगली पूर्ण बैठक तक ग्रे सूची में रहने की उम्मीद है।
आतंकी फंडिंग मामले में पाक को करेगा ब्लैकलिस्ट
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है। इसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखती है।
Published on:
01 Feb 2020 09:15 am
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