पाकिस्तान चुनाव: कहीं जरदारी अपने बेटे बिलावल की राह में रोड़ा तो नहीं! सेना पर पक्षपात का आरोप किसी भी लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए यह आवश्यक है कि देश की सेना चुनाव और रोज के प्रशासनिक कामों से खुद को दूर रखे। लेकिन पाकिस्तान में सेना द्वारा देश के प्रशासन में दखल देने की परम्परा रही है। इस बार आरोप लग रहा है कि सेना इस चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान को विजयी बनाने में जुटी हुई है। विदेशी पर्यवेक्षकों का मानना है कि चुनाव के लिए सुरक्षा संभाल रही पाकिस्तानी सेना ने देश की अन्य पार्टियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। आरोप है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को तहरीक के बदले बराबर के मौके नहीं मिल रहे हैं।
नवाज के विरोध में सेना अपने हुकुमत के दौरान सेना से बार बार टकराने का अंजाम नवाज़ शरीफ को अब भुगतना पड़ रहा है। जेल में बंद नवाज शरीफ लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ साजिश की जा रही है। हाल में ही पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने कहा कि सेना नवाज को जमानत न दिए जाने का दबाव बना रही है। यही नहीं सेना यह भी सुनिश्चित कर रही है कि नवाज की हालात चुनावों के बद और खराब हो जाए। पंजाब में नवाज की अच्छी पकड़ है। इसलिए सेना पंजाब प्रान्त में कई आतंकियों और कट्टरपंथियों को चुनाव में उतार रही है। दरअसल माना जा रहा है कि मिल्ली मुस्लिम लीग और तहरीक-ए-लब्बैक जैसे कट्टरपंथी पार्टियों को चुनाव लड़वाने के पीछे पाकिस्तानी सेना का हाथ है ताकि पंजाब में नवाज के वोट काटे जा सकें।
पाकिस्तानी सेना पर आरोप लग रहे हैं कि ने उसने पंजाब में पीएमएल-एन के कैंडिडेट्स पर पार्टी बदलने का दबाव बनाया है। यही नहीं सेना ने पीएमएल से जुड़े 200 से अधिक सदस्यों को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़ा कर दिया है।
पाकिस्तान चुनाव: आतंक के साए में बदतर होते हालात, किस तरफ वोट करेगा अल्पसंख्यक समुदाय इमरान के पक्ष में बॉलिंग कर रही है सेना इमरान खान के पक्ष में खुलकर सामने आने वाली सेना ने इस बार ऐसी बिसात पर दांव लगाया है जिससे लम्बे समय तक पाकिस्तान की सियासत में उसका परचम कायम रहे। इमरान खान पूरे देश में चुनावी रैलियां कर रहे हैं। सेना उनके पक्ष में प्रचार कर रही है। इमरान ने जनता से नया पाकिस्तान बनाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने का वादा किया है। सेना के इमरान के पक्ष में आने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इमरान सेना के एजेंडे में पूरी तरह से फिट होते हैं। कट्टरपंथी और लिबरल दोनों के बीच आसानी से फिट होने वाले इमरान इस स्थिति से बेहद खुश नजर आते हैं। असल में सेना को लगता है कि इमरान की अनुभवहीनता और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कम पहचान से उसके ऊपर दबाव कम रहेगा और वह मनमानी तरीके से काम कर सकेगी।