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पाकिस्तान: मंदिर का दर्शन करने 14 दिसंबर को कटास राज पहुंचेंगे भारतीय श्रद्धालु

हिंदू श्रद्धालु 13 दिसंबर को वाघा सीमा पार कर अगले दिन (14 दिसंबर) कटास राज पहुंचेंगे भारतीय श्रद्धालु आमतौर से साल में दो बार, एक बार नवंबर या दिसंबर में और एक बार फरवरी में कटास राज की यात्रा करते हैं

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चकवाल। करतारपुर में बीते दिनों गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकोशोत्सव में हजारों की संख्या में भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचे और अब भारत के विभिन्न राज्यों से सौ से अधिक हिंदू श्रद्धालु 14 दिसंबर को दर्शन के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित पवित्र कटास राज मंदिर परिसर पहुंचेंगे।

900 साल पुराने शिव मंदिर (कटास राज मंदिर) में श्रद्धालुओं का आगमन एक साल के अंतराल के बाद हो रहा है। इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड (ईटीबीपी) के उप सचिव सैयद फराज अब्बास ने 'डॉन' को बताया कि हिंदू श्रद्धालु 13 दिसंबर को वाघा सीमा पार कर अगले दिन कटास राज पहुंचेंगे।

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उन्होंने बताया कि सरकार ने दो सौ श्रद्धालुओं के लिए इंतजाम किए हैं। चकवाल के उपायुक्त कैप्टन (सेवानिवृत्त) अब्दुल सत्तार एसानी ने श्रद्धालुओं के लिए किए गए इंतजामों की मंगलवार को एक बैठक में समीक्षा की और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।

साल में दो बार कटास राज की यात्रा करते हैं श्रद्धालु

भारतीय राज्य हरियाणा के यमुनानगर के कटास राज तीर्थयात्रा के मुख्य आयोजक शिव प्रताप बजाज ने फोन पर 'डॉन' से कहा, 'हम बेहद उत्साहित हैं, हम एक साल के अंतराल के बाद अपने पवित्र स्थान के दर्शन के लिए आ रहे हैं।’

बजाज ने कटास राज के पवित्र तालाब के पुनरुद्धार के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधान न्यायाधीश मियां साकिब निसार का शुक्रिया अदा किया। कुछ साल पहले कटास राज इलाके में मौजूद सीमेंट कंपनियों के जलदोहन के कारण यह तालाब सूख गया था। इसे फिर से पहले जैसी हालत में लाने के लिए निसार ने पहल की थी। हालांकि, अब तालाब में पानी है लेकिन इसे ट्यूबवेल से भरा जा रहा है। अभी यह प्राकृतिक रूप से अपनी पहले की स्थिति में नहीं आ सका है।

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भारतीय श्रद्धालु आमतौर से साल में दो बार, एक बार नवंबर या दिसंबर में और एक बार फरवरी में कटास राज की यात्रा करते हैं जब महाशिवरात्रि का पर्व होता है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ जाने के कारण बीती महाशिवरात्रि पर भारतीय श्रद्धालु यहां नहीं आ सके थे।

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