
दरअसल, पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल एसेंबली में भारत के प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक की निंदा की गई और इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है।
पाकिस्तानी मीडिया 'जंग' की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में मंजूर कराए गए नागरिकता संशोधन विधेयक का मुद्दा नेशनल एसेंबली में उठा। सदन में इस विधेयक की कड़ी निंदा की गई और इसके खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया।
यह प्रस्ताव मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने सदन में पेश किया। सदन ने सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव के रूप में इसे मंजूर किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत सरकार का यह कदम मानवाधिकारों के खिलाफ है और इस विधेयक को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
इमरान खान पहले ही कर चुके हैं विरोध
आपको बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस विधेयक का विरोध कर चुके हैं। इमरान ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए लिखा था, 'अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय समझौतों के सभी मानदंडों का उल्लंघन करने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक को भारतीय लोकसभा में पास किए जाने की हम कड़ी निंदा करते हैं।’ उन्होंने कहा कि यह फासीवादी मोदी सरकार द्वारा प्रचारित आरएसएस के 'हिंदू राष्ट्र' की डिजाइन का हिस्सा है।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल के माध्यम से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत पहुंचे हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों की नागरिकता का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
भारतीय संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धर्म के चलते प्रताड़ित होकर भारत पहुंचे गैर-मुस्लिम लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। यह बिल मंगलवार को लोकसभा से पारित हो चुका है और बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया है।
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Updated on:
11 Dec 2019 10:54 pm
Published on:
11 Dec 2019 05:53 pm
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