
हाईकोर्ट
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल विस्तार को पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है। इसे इमरान खान की मनमानी कहा जा रहा है। पाक सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ाने की अधिसूचना को रोक लगा दी है। इसे मात्र छह माह कर दिया है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इमरान सरकार पर तलख टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उन्होंने संविधान के हिसाब से काम किया लेकिन जजों को भारत का एजेंट बताया गया। गौरतलब है कि इमरान सरकार ने आर्मी चीफ के कार्यकाल को जिस तरह की जल्दबाजी दिखाई है,उस पर मीडिया ने जमकर आलोचना की है। पाकिस्तान के कई अखबारों ने शुक्रवार को लिखा कि इमरान सरकार में लोगों का भरोसा कमजोर हुआ है।
पाक पीएम इमरान खान ने 19 अगस्त को क्षेत्रीय सुरक्षा हालात का हवाला देते हुए अधिसूचना जारी कर बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए और बढ़ा दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेवा विस्तार में अनियमितताओं का हवाला देते हुए उसे मंगलवार को रद्द कर दिया। सरकार ने अधिसूचना वापस लेकर नई अधिसूचना जारी की। इसके बाद भी मामला नहीं थमा।
पाक चीफ जस्टिस ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में उनके नेतृत्व वाली पीठ ने संविधान और कानून के प्रावधानों की पड़ताल कर अपना काम किया। इसके लिए लोगों ने जजों के खिलाफ प्रॉपेगैंडा शुरू कर दिया और उन्हें भारत और CIA (अमेरिकी खुफिया एजेंसी) का एजेंट करार दे दिया। चीफ जस्टिस ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के बारे में ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए।
Published on:
30 Nov 2019 10:01 am
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