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प्रधानमंत्री बनने के एक महीने बाद ही इमरान खान की खिंचाई शुरू, मीडिया ने उठाए गंभीर सवाल

वहां की मीडिया हाउस में इमरान के चुनावी दावों पर तंज कसे जाना का सिलसिला शुरू हो गया है।

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Shweta Singh

Sep 17, 2018

Pakistani media criticising the works and plans of imran khan

प्रधानमंत्री बनने के एक महीने बाद ही इमरान खान की खिंचाई शुरू, मीडिया ने उठाए गंभीर सवाल

इस्लामाबाद। 'चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान की जनता को बढ़-चढ़कर सुनहरे नए पाकिस्तान का सपना दिखाने वाले नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री की गाड़ी पटरी पर आते ही लड़खड़ाती नजर आ रही है। बहुत कम समय में ही ये लगने लगा है कि उन्हें आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) के सामने शायद हाथ फैलाना ही पड़ेगा।' ये दावे हमारे नहीं बल्कि पाकिस्तानी मीडिया के हैं। दरअसल वहां की मीडिया हाउस में इमरान के चुनावी दावों पर तंज कसे जाना का सिलसिला शुरू हो गया है।

कई मीडिया कंपनियां कर रही हैं योजनाओं के रोडमैप की मांग

रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सत्ता में आने के लिए नए पाकिस्तान का सपना दिखाने वाले इमरान खान को दाल आटे का भाव समझ आने लगा है। उनकी शुरुआती योजनाओं की खिंचाई करते हुए पाक मीडिया उसे उम्मीदों पर पानी फेरने वाला बता रही है। वहीं कई मीडिया कंपनियां उनसे रोडमैप मांग रहीं है। हालांकि ये तथ्य भी विचारणीय है कि पिछले कई दशक से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था और आर्थिक तंगी की मार झेलने वाले देश को इतने कम समय में ही सुधार देना किसी के बस की बात नहीं। फिर भी प्रचार के दौरान लंबी डींगे हांकने के कारण पीएम इमरान का ऐसे ताने सुनना लाजमी है, क्योंकि उन्होंने अब भी ऐसे दावें करना बंद नहीं किया है।

दो साल में क्या बदलेगा?

पाक के प्रमुख अखबारों में से एक अखबार रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ के संपादकीय पर नजर डालें तो उन्होंने पीएम की योजनाओं के रोडमैप की मांग की है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि, 'वजीर ए आजम साहब, रोडमैप दीजिए।' बता दें कि रोडमैप इमरान खान के उस अपील के बाद मांगा जा रहा है जिसमें पीएम ने कहा है कि देश की जनता अगर दो साल तक गुजारा कर ले तो उसके बाद पाकिस्तान में इतना पैसा आएगा, जिसके बाद ना तो कर्ज रहेगा और ना ही बेरोजगारी। इमरान खान ने दो साल में पाकिस्तान को निवेश और पर्यटन के लिए सबसे अहम केंद्रों में शामिल करने का दावा किया है। रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ ने इस पर प्रतिक्रिया लिखी है कि इमरान उस जनता से दो साल की मोहलत मांग रहे हैं जो नई सरकार से चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठी है। अपनी टिप्पणी में अखबार ने कहा '22 साल की सियासी जद्दोजहद में इमरान खान ने सिस्टम के नकारेपन, भ्रष्ट प्रशासनिक ढांचे और जनविरोधी नीतियों के इतने इल्जाम लगाए है और कर्जों की बैसाखी खत्म करने की इतनी बात की है, तो अब उन्हें भी अपना रोडमैप देना चाहिए।'

निराशाजनक है अबतक उठाए गए कदम

वहीं एक अन्य अखबार ‘नवा ए वक्त’ ने लिखा कि शुरुआती दो हफ्तों में इमरान सरकार की ओर से गवर्नेंस और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उठाए कदम से जनता के बीच उम्मीद की किरण रोशन होने के बजाय निराशा के बादल मंडराने लगे हैं। सोमवार को संसद में पेश होने वाले मिनी बजट में नए टैक्स पर राय देते हुए इस अखबार ने कहा, 'इन नए टैक्सों का बोझ अंततः जनता पर ही पड़ेगा, जो पहले ही गरीबी और महंगाई के नीचे दबी है'।

कुछ अब भी दे रहे साथ

वहीं रोजनामा ‘जिन्नाह’ ने नौकरशाहों के सामने दिए गए इमरान खान के भाषण पर सवाल उठाया है। इसी बीच एक अखबार ‘औसाफ’ को इमरान खान के भाषण में उम्मीद नजर आती है। अखबार लिखता है कि पाकिस्तान के सामने इतनी चुनौतियां इससे पहले नहीं थीं जितनी आज हैं। इस अखबार का मानना है कि राजनेताओं के साथ-साथ जनता और ब्यूरोक्रेसी सब को बदलाव अपनाना होगा। अखबार कहता है खुद को बदलने पर ही तरक्की होगी और नामुमकिन मुमकिन होगा।