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G20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी बोले- अफगानिस्तान ना बन जाए आतंकवाद का स्रोत

जी20 शिखर सम्मेलन को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान को गलत ढंग से इस्तेमाल किए जाने से बचाने के तरीकों पर जोर डाला।

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Gujarat Hindi News :  पींपली गांव में सभी घरों में नल से जल, आज पीएम मोदी ग्रामीणों से करेंगे संवाद

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अफगानिस्तान पर जी20 शिखर सम्मेलन में अफगान नागरिकों को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता देने का आह्वान किया। पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन में ऑनलाइन हिस्सा लिया, जिसमें अफगानिस्तान में मानवीय जरूरतों की प्रतिक्रिया, सुरक्षा और आतंकवाद और मानवाधिकारों के खिलाफ लड़ाई पर चर्चा हुई।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों के सामाजिक-आर्थिक लाभ को संरक्षित करने और कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार को प्रतिबंधित करने के लिए, प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में एक समावेशी प्रशासन का आह्वान किया, जिसमें महिलाएं और अल्पसंख्यक भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि अफगान क्षेत्र क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर कट्टरपंथ और आतंकवाद का स्रोत न बने। बयान में कहा गया है कि उन्होंने क्षेत्र में कट्टरपंथ, आतंकवाद और नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी की सांठगांठ के खिलाफ हमारी संयुक्त लड़ाई को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने तालिबान के कब्जे वाले देश में वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के लिए बैठक बुलाने में इतालवी जी20 प्रेसीडेंसी की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में भारत ने अफगानिस्तान में युवा और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।

उन्होंने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में निहित संदेश के लिए जी20 के नए समर्थन का आह्वान किया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया बनाने का आह्वान किया जिसके बिना अफगानिस्तान की स्थिति में वांछित बदलाव लाना मुश्किल होगा।

यह बैठक इटली द्वारा बुलाई गई थी, जो वर्तमान में G20 प्रेसीडेंसी रखता है और इसकी अध्यक्षता इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने की।

दरअसल, अफगानिस्तान में अगस्त में तालिबान द्वारा सत्ता हथियाने के बाद इसके भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। दुनिया चाहती है कि तालिबानी संस्कृति रूढ़िवादी ना होकर वक्त से कदमताल करने वाली हो, ताकि देश का विकास हो सके। दुनिया के प्रमुख संगठनों और सरकारों का मकसद अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चों के मानवाधिकारों और भविष्य को लेकर ज्यादा है।

इसके अलावा तालिबान के कब्जे में आ चुके अफगानिस्तान का इस्तेमाल कई देश आतंकवाद और कट्टरता फैलाने के लिए ना करें, इस पर भी दुनिया के प्रमुख देशों को ध्यान है। अमरीका द्वारा अफगानिस्तान छोड़ने की घोषणा करने के बाद से ही तालिबान तेजी से सक्रिय हो गए और इस साल अगस्त में अमरीकी सेना पूरी तरह से लौट पाती, उन्होंने कब्जा कर लिया।