
कोलंबो। रविवार को श्रीलंकाई हाइलैंड शहर कैंडी की वाहनों की लाइन लगी थी और सेना स्टैंडबाय पर थी, क्योंकि चर्च और लक्जरी होटलों पर आतंकवादियों द्वारा किए गए ईस्टर हमलों के बाद से बौद्ध भिक्षु अपनी पहली सभा के लिए एकत्र हुए थे। यह कट्टरपंथी बौद्धों का समूह था, जो मुस्लिमों को देश से निकले जाने की मांग को लेकर इकठ्ठा हुआ था।
बौद्ध राष्ट्रवादी समूह बोडू बाला सेना (बीबीएस) के प्रमुख गलगोडा अथेथ ज्ञानसारा ने इस बैठक में भाग लेने के लिए देश भर से 10,000 अधिक बौद्ध भिक्षुओं को बुलाया था। मीटिंग के बाद समूह ने कहा कि सभा तय करेगी कि इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में कौन जीतकर वापस आएगा। 70 प्रतिशत बौद्ध जातीय समूह वाले देश में दूसरी बड़ी में आबादी तमिलों की हैं, जो ज्यादातर हिंदू और मुसलमान हैं।
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कट्टर बौद्धों का जुटाव
नारंगी रंग के कपड़े पहने ज्ञानसारा ने रविवार को कैंडी में बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र मंदिर का दौरा किया। बताया जाता है कि इस मंदिर में बुद्ध के अवशेष रखे गए हैं। सभा की विज्ञप्ति में कहा गया है कि बाद के दिनों में बौद्ध प्रमुख मुस्लिमों के खिलाफ कई और रैलियां भी कर सकते हैं।
अलर्ट पर सेना
बौद्धों के सबसे बड़े जुटान को देखते हुए सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सेना के प्रवक्ता सुमित अटापट्टू ने कहा, "सेना सुरक्षा कानून के तहत पुलिस की सहायता कर रही है।" 250 से अधिक लोगों की जान लेने वाले बम विस्फोटों के बाद प्रतिशोध रूप में बौद्ध समूहों द्वारा देश में मुस्लिम विरोधी हिंसा बढ़ रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि श्रीलंका में मुसलमान भयभीत हो गए हैं। विशेष रूप से बीबीएस जैसे कट्टरपंथी समूहों से मुस्लिम डारे हुए हैं।ये संगठन कथित रूप से चरमपंथ के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। कैंडी के कई दुकानदारों और रेस्तरां मालिकों ने कहा कि उन्होंने हिंसा के डर से रविवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।।
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Updated on:
08 Jul 2019 07:23 pm
Published on:
08 Jul 2019 02:13 pm
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