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चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच लंबे समय से टेंशन की जो स्थिति है, वो पिछले कुछ महीनों में और बढ़ी है। चीन का कहना है कि ताइवान पर उसका हक है और ताइवान का कहना है कि वो एक स्वतंत्र देश है। दुनिया के कई देश भी ताइवान को स्वतंत्र देश मानते हैं, जो चीन को पसंद नहीं है। बढ़ती टेंशन के बीच चीन ने पिछले कुछ महीनों से ताइवान बॉर्डर के आस-पास एक्टिविटी बढ़ा दी है। चीन पिछले कुछ महीनों में कई बार ताइवान की बॉर्डर के पास युद्धाभ्यास कर चुका है और ताइवान के एयर डिफेंस जोन में भी प्रवेश कर चुका है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ताइवान ने आज एक बड़ा फैसला लिया है।
कंपल्सरी मिलिट्री सर्विस की अवधि बढ़ाई गई
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन (Tsai Ing-wen) मंगलवार, 27 दिसंबर को फैसला लेते हुए इस बात की घोषणा की है कि ताइवान की कंपल्सरी मिलिट्री सर्विस की अवधि बढ़ाई जाएगी। इस अवधि को बढ़ाकर एक साल करने का फैसला लिया गया है।
चीन के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए लिया गया फैसला
ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा कि फिलहाल चल रही 4 महीने की कंपल्सरी मिलिट्री सर्विस को बढ़कर एक साल का करने के पीछे वजह चीन का बढ़ रहा खतरा है। ताइवान की राष्ट्रपति का मानना है कि उनके देश को इस खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की ज़रूरत है।
2024 से होगा लागू
ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा कि बदलते हालातों को देखते हुए 4 महीनें की कंपल्सरी मिलिट्री सर्विस काफी नहीं है। इसलिए इसकी अवधि में बदलाव किया गया है। यह बदलाव 2024 से लागू किया जाएगा। चीन की ताइवान बॉर्डर के पास बढ़ रही मिलिट्री एक्टिविटी के लिए ताइवान पूरी तरह से तैयार रहना चाहता है और इस फैसले से यह साफ हो गया है कि ताइवान चीन के आगे झुकने वाला नहीं है।
Published on:
27 Dec 2022 04:32 pm
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