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पहल: UAE में गैर मुस्लिम लोग शरिया नहीं अपने रीति-रिवाज के तहत कर सकेंगे शादी, तलाक और बच्चे गोद लेने के अधिकार भी बदले

संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई एक मुस्लिम राष्ट्र है। मगर ज्यादातर मामलों में वह दकियानूसी और धार्मिक मामलों से इतर विकास और प्रगतिशील व्यवहार को ज्यादा तवज्जो देता है। एक नए नियम के तहत अब वहां गैर मुस्लिमों को भी शादी, तलाक और बच्चे गोद लेने की इजाजत दे दी गई है। यूएई में अभी तक शरिया कानून के तहत ही शादी या तलाक की इजाजत थी।  

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Ashutosh Pathak

Nov 07, 2021

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नई दिल्ली।

संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में अब गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी शादी, तलाक और बच्चे को गोद लेने संबंधी अधिकार देने की इजाजत मिल गई है। इसके लिए वहां एक नया कानून लागू किया जा रहा है।

यूएई में अभी तक शरिया कानून के तहत ही शादी या तलाक की इजाजत थी। अन्य मुस्लिम देशों की तुलना में यूएई का यह सबसे नया और ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है।

यूएई ने अपने देश में रह रहे गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को उन्हें अपने रीति-रिवाज से शादी करने की अनुमति दे दी है। इतना ही नहीं इसके लिए यूएई एक अदालत भी शुरू कर रही है। इसमें गैर मुस्लिमों के विवाह को मंजूरी दी जा सकेगी।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गैर मुसलमानों को यूएई में नागरिक कानून के तहत शादी, तलाक और बच्चों को गोद लेने संबंधी सभी अधिकारों की अनुमति दी जाएगी।

यह यूएई में नवीनतम और ऐतिहासिक कदम है। इससे पहले अन्य खाड़ी देशों की तरह यूएई में शादी और तलाक इस्लामी शरिया सिद्धांतों के आधार पर ही होते थे। अबू धाबी के शेख खलीफा बिन जायद अल-नाहयान(यूएई महासंघ के अध्यक्ष) की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, इस नए कानून में नागरिक विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, संयुक्त बाल हिरासत और पितृत्व का प्रमाण और विरासत शामिल है।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस कानून का उद्देश्य अन्य खाड़ी देशों के मुकाबले यूएई की स्थिति को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देना है। रिपोर्ट के अनुसार, यूएई ने गैर-मुस्लिम पारिवारिक मामलों के लिए बनाए गए नए नागरिक कानून को दुनिया के समक्ष एक नई पहल बताया है। गैर-मुस्लिम पारिवारिक मामलों को निपटाने के लिए अबू धाबी में एक नई अदालत की स्थापना हो रही है, जो अंग्रेजी और अरबी दोनों भाषाओं में काम करेगी।

यूएई ने पिछले साल संघीय स्तर पर कई कानूनी बदलाव किए हैं। इसमें विवाह पूर्व यौन संबंधों और शराब के सेवन को अपराध से मुक्त करना और तथाकथित ऑनर किलिंग से निपटने के दौरान नरमी के प्रावधानों को रद्द करना शामिल है।