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एशिया

UN ने 250,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को दिया पहचान पत्र, अब लौट सकेंगे अपने देश

बांग्लादेश में करीब 9 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं।
भारत में भी हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से रह रहे हैं।
म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के डर से रोहिंग्या सीमा पार कर बांग्लादेश और भारत में घुस जाते हैं।

नई दिल्लीMay 18, 2019 / 11:44 am

Anil Kumar

रोहिंग्या समुदाय

UN ने 250,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को दिया पहचान पत्र, अब लौट सकेंगे अपना देश

जेनेवा। शरणार्थी के तौर पर जीवन गुजर-बसर कर रहे रोहिंग्या मुसलमानों को आखिरकार उनकी पहचान मिली, जिससे कि वे भविष्य में अपने देश म्यांमार लौट सकते हैं। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश ( Bangladesh ) में रहने वाले 250,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों ( Rohingya refugees ) को पंजीकृत किया है, जो अपने पहचान पत्र और भविष्य में म्यांमार ( Myanmar ) लौटने के उनके अधिकार को प्रमाण प्रदान करता है। संयुक्त राष्ट्र ( united nation ) शरणार्थी एजेंसी ने यह भी कहा कि यह पंजीकरण मानव तस्करी ( human trafficking ) से निपटने में एक कानून प्रवर्तन के लिए एक उपकरण के रूप में काम कर सकेगा। प्रवक्ता आंद्रेज माहेसिक ने जेनेवा ( Geneva ) में मीडिया से बात करते हुए बताया कि एक लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार से अब संयुक्त रूप से पंजीकृत किया गया है जिन्हें बांग्लादेश के अधिकारियों और UNHCR द्वारा पहचान पत्र प्रदान किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगस्त 2017 में 740,000 रोहिंग्या शरणार्थी सैन्य कार्रवाई के डर से सीमा पार कर बांग्लादेश में चले गए थे, जहां पर पहले से ही उत्पीड़ित मुस्लिम अल्पसंख्यक के 300,000 सदस्य शिविरों में रह रहे थे। इसके अलावे कई रोहिंगिया महिलाओं ने बीते सितंबर में गांवों में अपने साथ हुए रेप की घटना को भी बताया है।

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12 साल की आयु से अधिक वालों को मिला पहचान पत्र

UNHCR ने बताया है कि बांग्लादेश में 900,000 के करीब रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। इसमें से कई परिवारों के दूसरी या तीसरी पीढ़ी भी शामिल है। रोहिंग्याओं को पहचान पत्र जारी करने का काम बीते साल जून 2018 में शुरू किया गया था। इससे पहले म्यांमार और बांग्लादेश ने रोहिंग्या को वापस लाने के बारे में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन लेकिन अब नागरिकता पर सुरक्षा भय और चिंताओं के कारण शरणार्थियों ने लौटने से इनकार कर दिया है। आंद्रेज माहेसिक ने बताया कि पहचान पत्र 12 साल से अधिक आयु वालों को ही जारी किया गया है। पहचान पत्र में सभी जरूरी जानकारियां सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें नाम, परिवार से संबंध और फिंगरप्रिंट के साथ-साथ आइरिस स्कैन शामिल हैं। उन्होंने आगे यह भी बताया कि कुल मिलाकर 270,348 शरणार्थियों या लगभग 60,000 परिवारों को पंजीकृत किया गया है और प्रत्येक दिन लगभग 4,000 लोगों को रोस्टर में जोड़ा जाता है। मालूम हो कि रोहिंग्या मुसलमानों की बड़ी संख्या में खरीद-फरोख्त हो रहा है। महिलाओं को देहव्यापार में धकेला जा रहा है। अभी पिछले सप्ताह में बांग्लादेश पुलिस ने दो मानव तस्करों को मार गिराया था और फिर 103 रोहिंग्याओं को उनसे बचाया था।

 

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