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आर्थिक मदद के लिए WHO के जरिए प्रोपेगंडा फैला रहा तालिबान, दिसंबर तक दस लाख बच्चों की हो सकती है मौत! तालिबानी लड़ाके आधा पेट खा रहे खाना

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि सर्दी के मौसम में अफगानिस्तान में तापमान कम होगा और भूख से बिलखते बच्चे जान गंवा सकते हैै। करीब 32 लाख अफगानी बच्चे साल के अंत तक विकट कुपोषण के शिकार होंगे। इनमें से करीब दस लाख बच्चों पर मौत का खतरा बुरी तरह मंडरा रहा है।  

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Ashutosh Pathak

Nov 13, 2021

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नई दिल्ली।

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अफगानिस्तान में इस वर्ष दिसंबर तक लाखों की संख्या में बच्चे भूख से मर सकते हैं। गत अगस्त में तालिबानी शासन आने के बाद अफगानिस्तान के बदतर होते हालात पर डब्ल्यूएचओ के बयान ने दुनिया का ध्यान फिर से अपनी ओर खींचा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने कहा कि देश में फैलते संकट के बीच यह एक बड़ी लड़ाई होगी। काबुल में मौजूद हैरिस ने कहा कि देश के कुछ इलाकों में रात को तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने लगा है। हालांकि, हैरिस के पास अफगानिस्तान में भूख से जान गंवा चुके बच्चों का कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि अस्पतालों के वार्ड छोटे बच्चों से भरे हुए हैं। चेचक के मामले इस वक्त अफगानिस्तान में ऊफान पर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक अब तक देश में 24 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं।

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अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद से खाद्य संकट गहराता गया है। इसको देखते हुए कुछ दिनों पहले तालिबान सरकार ने एक कार्यक्रम लॉन्च किया है। जिसके तहत लोगों को काम के बदले अनाज दिया जाएगा। तालिबान के मुताबिक ये कार्यक्रम देश के तकरीबन सभी बड़े शहरों में चलाया जा रहा है। अकेले काबुल शहर में इसके तहत 40 हजार लोगों को रोजगार मुहैया करवाने की खबरें आई थीं।

गत अक्टूबर में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहा गया था कि अब तक करीब 1.9 करोड़ अफगान लोगों को विकट खाद्य संकट से जूझना पड़ा है। रिपोर्ट ने आगाह किया गया था कि नवंबर-दिसंबर महीने में देश की आधी से ज्यादा आबादी के सामने विकट खाद्य संकट मौजूद होगा।

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मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि देश के प्रमुख शहरों के बाहर मौजूद तालिबान लड़ाकों को खाने के लिए काफी कम खाना मिल पा रहा है। वे ट्रकों में या कहीं जमीन पर सोते हैं। उनके पास रहने के लिए कोई घर नहीं है और वे किसी भी तरह से अपनी जिंदगी को बचा रहे हैं और तालिबान के पास पैसे नहीं हैं कि वह अपने लड़ाकों की मदद कर सके।