
A temple where dead person can alive for few moments
यूं तो देश और दुनिया में हजारों लाखों की तादाद में शिवलिंग मौजूद हैं। जिनमें से 12 शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग का दर्जा प्राप्त है। सनातन संस्कृती में शिव को संहार का देवता माना गया है। वहीं इनके अत्यधिक भोले होने के कारण इनका एक नाम भोलानाथ भी है।
भगवान शंकर(महादेव) के हमारे देश में मौजूद मंदिरों में लाखों भक्त सुबह-शाम उनकी पूजा और आराधना के लिए आते हैं। वहीं हर मंदिर की अपनी खासियत होती है और दुनिया में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग भी देखने को मिलते हैं। जिनमें जहां कुछ जगह शिवलिंग धरती से थोड़ी गहराई में स्थित हैं, तो वहीं केदारनाथ का शिवलिंग एक अलग ही आकृति का है।
वैसे तो आपने महादेव के कई मंदिर देखें होंगे और कई मंदिरों के बारे में सुना भी होगा, लेकिन क्या आप जानते है कि देश में ही एक ऐसे शिवलिंग भी है जिसमें आप अपनी छवि देख सकतें हैं?
दरअसल, यहां के शिवलिंग का अत्यधिक चमकदार होना इसे अन्य शिवलिंगों से अलग करता है, यह शिवलिंग इतना चमकदार है कि आप इसमें अपनी छवि तक को देख सकते हैं। गर्भग्रह में स्थापित ना होने के बावजूद, ग्रैफाइट पत्थर से बने इस शिवलिंग को मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है।
कहा जाता है कि यह शिवलिंग द्वापर युग में बनाया गया था और इसकी स्थापना स्वयं युधिष्ठिर ने की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मुताबिक, इसे 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच नागर शैली की वास्तुकला द्वारा बनाया गया था।
यहां है ये शिवलिंग...
देवभूमि उत्तराखंड के मंसूरी से 75 किलोमीटर उत्तर में लखमंडल गांव में एक मंदिर परिसर है। माना जाता है कि लाक्षाग्रह से बाहर निकलने के लिए पांडवों ने जिस गुफा का इस्तेमाल किया, वो लखमंडल में खत्म होती थी। यहां पहुंचने के बाद पांडवों ने कुछ समय के लिए यहीं रहने का फैसला किया और इस जगह को लखमंडल नाम दिया।
मृतक हो जाता है जीवित!
लखमंडल का तात्पर्य लाखों मंदिरों से है, वहीं यहां के निवासियों का कहना है कि पांडवों ने लाक्षाग्रह की घटना के आधार पर इस जगह का नाम रखा था। लखमंडल में निवास के दौरान पांडवों ने ही इस मंदिर को बनवाया।
लखमंडल पौराणिक इतिहास और हिंदुत्व का बेहद शानदार उदाहरण है। लखमंडल में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर परिसर है। इस मंदिर में कई छोटे-बड़े शिवलिंग देखने को मिलते है, लेकिन उनमें से सिर्फ एक ही शिवलिंग है जो लोगों को खासतौर पर सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इसके अलावा भी मंदिर परिसर में कई दिलचस्प चीजें हैं। मुख्य पुण्य-स्थल के पास दो मूर्तियां हैं, जिन्हें दानव और मानव के नाम से जाना जाता है। इन्हें मंदिर परिसर के पहरेदार के रूप में देखा जाता हैं। स्थानीय लोगों का तो यहां तक कहना है कि यदि किसी का अभी निधन हुआ हो, तो उसे इस परिसर में इन मूर्तियों के सामने लाकर कुछ क्षण के लिए जीवित किया जा सकता है।
ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
1. शिव को भभूती लगाएं, अपने मस्तक पर भी लगाएं।
2. शिव चालीसा और आरती का गायन करें।
3. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
4. सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत धारण करें(यदि पूरे दिन का व्रत सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत धारण किया जा सकता है)।
5. बेलपत्र, दूध, शहद और पानी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
Published on:
30 Apr 2020 03:47 pm
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