
Brahma ji is not worshiped
नई दिल्ली। पूरी सृष्टि के पालनहार माने जाने वाले ब्रह्मा हर भगवानों में सबसे श्रेष्ठ है। ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता होने के साथ-साथ चार वेदों के ज्ञाता भी हैं। उन्होंने संसार को चार वेदों का ज्ञान दिया। चार चेहरे और चार हाथ धारण किए ब्रह्माजी ने हरएक हाथों से चार वेद की रचना कर अपने भक्तों का उद्धार किया हैं, लेकिन इसके बाद भी लोग भगवान शिव महेश को पूजते है ब्रह्मा जी की पूजा नही रहती इस धरती में जाने क्यों?
यूं तो धरती लोक पर हर भगवान के कई मंदिर हैं, लेकिन ब्रह्माजी का मंदिर केवल एक ही है लेकिन इसकेबाद भी उस मंदिरमें उनकी पूजा नही की जाती है। उनकी पूजा करना वर्जित माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसका पीछ की कहानी कुछ इस प्रकार है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्माजी के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का ख्याल आया। और यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी। इसके लिए उन्होंने अपनी बांह से निकले हुए एक कमल को धरती लोक की ओर भेजा। कहते हैं कि राजस्थान के पुष्कर में जाकर वह कमल गिरा और इसी स्थान पर ब्रह्माजी का एक मंदिर बनाया गया है। और इस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब का निर्माण भी हुआ था।
पुष्कर भक्तो का तीर्थ स्थल बन चुका है जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु ब्रह्मा जी के दर्शन के लिए आते हैं। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को इस मंदिर के आसपास मेला लगता है, जिसे पुष्कर मेले के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन फिर भी यहां कोई भी ब्रह्मा जी की पूजा नहीं करता।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी जब यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंचे, तो उस समय उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ नही थी। पूजा की शुरूआत की जा रही है सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुंच गए थे, लेकिन पत्नि सावित्री का अब भी कोई अता-पता नहीं था। कहते हैं कि जब यज्ञ करने का शुभ मुहूर्त निकलने लगा, तब कोई उपाय न देखकर ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा किया।
कहते हैं कि जब सावित्री यज्ञ स्थली पहुंचीं, तो उन्होने देखा कि ब्रह्मा जी किसी पराई स्त्री के साथ बैठकर यज्ञ कर रहे है तो वो क्रोधित से लाल हो गईं। गुस्से में आकर उन्होंने ब्रह्मा जी को शाप दे दिया और कहा कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। देवी देवता हैरान हो गए उन्होंने सावित्री के गुस्से को बहुत शांत कराने की कोशिश की जब उनका गुस्सा शांत हुआ और देवताओं ने उनसे शाप वापस लेने की विनती की, तो उन्होंने कहा कि धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होगी। इसके अलावा जो कोई भी आपका दूसरा मंदिर बनाएगा, उसका विनाश हो जाएगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी पुष्कर के इस स्थान पर 10 हजार सालों तक रहे थे। और इसी स्थान पर बैठकर उन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की। पुष्कर में मां सावित्री की भी काफी मान्यता है। कहते हैं कि क्रोध शांत होने के बाद मां सावित्री पुष्कर के पास मौजूद पहाड़ियों पर जाकर तपस्या में लीन हो गईं और फिर वहीं की होकर रह गईं। मान्यतानुसार, आज भी देवी यहीं रहकर अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। उन्हें सौभाग्य की देवी माना जाता है।
मान्यता है कि मां सावित्री के इस मंदिर में पूजा करने से सुहाग की लंबी उम्र होती है और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। यहां भक्तों में सबसे ज्यादा महिलाएं ही आती हैं और प्रसाद के तौर पर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां मां को चढ़ाती हैं।
Updated on:
06 Nov 2020 01:20 pm
Published on:
06 Nov 2020 01:09 pm
बड़ी खबरें
View Allट्रेंडिंग
