- सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण दोनों का अब सामने आएगा असर, इन ग्रहण में सबसे ज्यादा मंगल, शुक्र व राहु का देखने को मिलेगा।
साल 2022 के आखिरी दोनों ही ग्रहण मंगलवार को पड़े, उसमें भी आज का चंद्र ग्रहण मंगल की ही राशि मेष में लगा है, जबकि इससे 15 दिन पहले 25 अक्टूबर को लगा सूर्य ग्रहण तुला राशि यानि शुक्र की राशि में मंगलवार को लगा था। दोनों ही ग्रहण मंगलवार को लगने के कारण इनके प्रभाव मंगल के आधार पर ही काफी खतरनाक होने जा रहे हैं।
दरअसल ज्योतिष में मंगल को भूमि का पुत्र माना जाता है और ये भूमि का ही कारक भी है, ऐसे में ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि ग्रहण आगामी दिनों में विवाद भूमि से जुड़े हुए पैदा करेंगे। जिसकी जद में अनेक देश आएंगे। वहीं चूंकि मंगल को देवसेनापति होने के साथ ही पराक्रम का कारक भी माना जाता है, तो ऐसे में यह खून खराबे वाली स्थितियां भी निर्मित करता दिख रहा है। यानि ये कुल मिलाकर जमीन को लेकर युद्ध की स्थिति का निर्माण करता दिख रहा है।
इसके अलावा यह भी जान लें कि 08 नवंबर का चंद्रग्रहण मेष राशि में भरणी नक्षत्र में लग रहा है, ऐसे में जहां मंगल का मुख्य प्रभाव भूमि मामलों को लेकर होगा वहीं भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र होने के चलते भूमि का ये विवाद शुक्र की स्थितियों (धन,धान्य,संपत्ति व एश्वर्य) को भी प्रभावित करेगा।
जबकि इससे पहले 25 अक्टूबर 2022 को मंगलवार के दिन ही लगा सूर्यग्रहण जो शुक्र की तुला राशि में लगा था, वह मंगलवार को लगने के चलते भूमि से जुड़ा विवाद तो पैदा कर ही रहा है, लेकिन वहीं शुक्र की राशि में होने के कारण यह धन,संपत्ति व एश्वर्य को भी प्रभावित करता दिख रहा है, क्योंकि शुक्र इन्हीं चीजों का कारक माना गया है। वहीं यह भाग्य को भी प्रभावित करेगा। यह यह सब स्थितियां भूमि की स्थिति को लेकर उपजे विवाद के कारण बनी युद्ध की स्थिति से निर्मित होती दिख रही हैं।
ज्योतिष के जानकार पंडित डीके शास्त्री के अनुसार एक ओर जहां शुक्र के कारण विलासिता सहित धन व वैभव में हानि के संकेत हैं, वहीं मंगल केवल पराक्रम का साथ देगा। यानि इस दौरान भाग्य के भरोसे न बैठ कर कर्म वो भी पराक्रम का कर्म करना होगा। जिसके आधार पर ही भविष्य का निर्णय संभव हो सकेगा।
यहां ये भी जान ले कि चूंकि 25 अक्टूबर का सूर्यग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी हिंद महासागर में दिखा था, ऐसे में यह भौतिक रूप से इन क्षेत्रों में आने वाले देशों को धन, धान्य व एश्वर्य को लेकर बुरी तरह से प्रभावित करेगा।
वहीं दूसरी ओर 8 नवंबर को लग रहा ये चंद्रग्रहण एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और यूरोप के देशों में दिखाई देगा। इसमें भी भारत में तो यह काफी जगहों पर दिखेगा।
ऐसे में ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि इसके प्रभाव से इन क्षेत्रों में भूमि को लेकर तनाव बढ़ने के साथ ही कुछ जगहों पर युद्ध की स्थितियां भी निर्मित होंगी, जबकि कुछ स्थानों पर युद्ध भी होंगे। वहीं जिन जगहों पर युद्ध जारी हैं, वहां युद्ध और तेजी पकड़ सकते हैं। जो भरणी नक्षत्र के कारण धन,धान्य,संपत्ति व एश्वर्य में हानि प्रदान करते दिख रहे हैं।
जबकि 25 अक्टूबर का सूर्यग्रहण स्वाति नक्षत्र मे लगा था जिसका स्वामी राहु है, ऐसे में राहु के प्रभाव के चलते यह आलस्य व झगड़ों का कारक बनता दिख रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव ही वाद विवाद का कारक बनेगा, जिसके बाद आपसी विवादों का दौर शुरु होगा। वहीं इसके बाद चंद्र ग्रहण के दौरान शुक्र व मंगल के प्रभाव से ये स्थिति बिगड़ते हुए युद्ध तक पहुंचने के बाद देशों को अत्यधिक आर्थिक व भौतिक नुकसान देगी।