आज हमारे पास सब कुछ यानी अपार धन-वैभव, सुख-साधन है। फिर भी हम न सुखी हैं न संतुष्ट। हमारे पास महावीर, बुद्ध, राम, कृष्ण, आदि अनेक महापुरुषों के आगम, शास्त्र आदि हैं परन्तु शायद ही हमारे आचरण में इनमें वर्णित ज्ञान का अंश मात्र भी है। महावीर के पांच महाव्रतों में से हम एक का भी ईमानदारी से आचरण नहीं कर पाते। जीवन में सत्य और अहिंसा का सम्बन्ध पहले की तुलना में कम होता चला जा रहा है। जीवन को सही राह पर लाने और जीवन सुखद बनाने के लिए हमें संयम और तप का सहारा लेना होगा। तभी जीवन में शांति आ सकती है।