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आपने भी कई लोगों को अनेक प्रकार के रत्न धारण किए हुए देखा ही होगा, कारण यह है कि ज्योतिष में इन रत्नों का अपना एक खास महत्व है। इसका कारण ये है कि हर ग्रह से किसी खास रत्न का संबंध होता है। जिसके चलते आपके उस ग्रह को प्रभावित करने के लिए ग्रह से संबंधित रत् न धारण कराया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में ये रत्न किसी व्यक्ति की किस्मत बदलने तक का काम करते है, बशर्ते वह रत्न व्यक्ति को सूट करना चाहिए। ऐेसे मे ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पुखराज रत्न गुरु ग्रह के प्रभावों पर आधारित है। दरअसल ये रत्न कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता है। वहीं यदि वे लोग जिन्हें पुखराज पहनने के लिए कहा गया है वे यदि पुखराज (अधिकांशत: महंगा होने के चलते) धारण नहीं कर सकते तो ऐसे में इनके लिए इसका उपरत्न सुनहला धारण करना ज्यादा आसान होता हैं। कारण ये है कि सुनहला भी कई मायनों में पुखराज जितना ही कारगर माना जाता है।
ज्योतिष के जानकार व पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पुखराज मुख्यतरू दो राशियों के जातकों के लिए सबसे शुभ माना जाता है, ऐसे में ज्योतिष में जिन राशि के जातकों के लिए पुखराज सबसे शुभ माना गया है वे हैं धनु और मीन राशि के जातक। इसका मुख्य कारण ये है कि इन दोनों ही राशियों के स्वामी ग्रह देवगुरु बृहस्पति ही हैं और पुखराज इन्ही का रत्न है।
कई जानकारों के अनुसार तो ये रत्न इन दोनों ही राशियों के लिए वरदान साबित होने की क्षमता रखता है। ध्यान रहे पुखराज रत्न आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने के साथ ही आपकी विद्या में भी वृद्धि करता है। इसके अतिरिक्त यह आर्थिक स्थिति में भी मजबूती प्रदान करता है।
आपकी प्रतिभा को उभारने, नौकरी सहित बिजनेस के हर क्षेत्र में तरक्की प्रदान करने में सहायता प्रदन करता है। इसके अलावा यह रत्न स्वास्थ्य के लिहाज से भी अत्यंत शुभ माना गया है। यह भी कहा जाता है कि इस रत्न के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में आ रही अड़चन भी दूर होती हैं। ऐसे में राशि स्वामी का रत्न होने के चलते यह धनु और मीन को तो लाभ देता ही है साथ ही ये पुखराज रत्न कर्क और सिंह वालों के लिए भी उत्तम माना गया है।
धारण करने की विधि व दिन-
बृहस्पतिवार का दिन इस रत्न को पहनने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस रत्न को धारण करने के लिए इसकी अंगूठी को इस प्रकार बनवाएं कि पहनने पर इसमें लगा रत् न आपकी उंगली की त्वचा को छूता रहे। पुखराज रत्न से जडि़त इस अंगूठी को गुरुवार के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात कच्चे दूध और गंगाजल में डालने के बाद इसको एक बार फिर शहद से स्नान करवाना चाहिएं। जिसके पश्चात साफ पानी धोकर तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए। इसके साथ ही इस अंगूठी को धारण करते समय 'ॐ ब्रह्म ब्रहस्पतिये नम:' मंत्र का जाप अवश्य करें।
इस राशि के जातक बिना सलाह के न करें धारण
वैसे तो किसी भी राशि का जातक हो उसे बिना ज्योतिषीय सलाह के कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए, लेकिन अपनी राशि के स्वामी से जुडे रत्न का पहनना सामान्यतरू अच्छा ही माना जाता है। ऐसे में लोग अपनी राशि के रत्न को बिना सलाह के भी धारण कर लेते हैं।
लेकिन ध्यान रखें कि पुखराज को वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुम्भ वाले लोगों को बिना ज्योतिषीय सलाह लिए नहीं पहनना चाहिए। इसका कारण ये है कि इन राशियों के लिए ये रत्न विशेष नहीं माना जाता है। वहीं कई जानकारों का तो यहां तक कहना है कि पुखराज के साथ पन्ना, गोमेद, नीलम, हीरा व लहसुनिया को नहीं पहनना चाहिए वरना लाभ के स्थान पर इसके चलते हानि भी हो सकती है।
(नोट- ध्यान रखें यहां दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है।)
Published on:
07 Jul 2023 05:41 pm
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