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Manipur: पांडवों से है ‘मणिपुर’ का नाता, यहां जानिए सात राज्यों के समूह के पौराणिक रोचक किस्से

Manipur relation with pandavas, Arjun married with princess of Manipur: खासतौर पर महाभारत काल की कई यादें भारत के इस हिस्से से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि पांडवों ने इस हिस्से में प्रवास किया था। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें सात राज्यों के समूह में पांडवों के प्रवास के दौरान की कुछ कहानियां और सबसे रोचक मणिपुर और पांडवों के नाते का एक रोचक किस्सा...

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Sanjana Kumar

May 08, 2023

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Manipur relation with pandavas, Arjun married with princess of Manipur: भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा, सात राज्यों का समूह।भारत के मुख्य भाग से काफी दूर माना जाता है। वर्तमान में भले ही कोई इस हिस्से में जाने में हिचकिचाहट से भर जाए कि इतना दूर...। लेकिन आपको बता दें कि यहां प्रवास करने आने वाले लोगों को धीरे-धीरे ही सही लेकिन समझ आ जाता है कि यह हिस्सा प्राचीन भारत से कैसे जुड़ा हुआ था। वहीं पौराणिक कथाओं में भी इसका जिक्र मिलता है। खासतौर पर महाभारत काल की कई यादें भारत के इस हिस्से से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि पांडवों ने इस हिस्से में प्रवास किया था। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें सात राज्यों के समूह में पांडवों के प्रवास के दौरान की कुछ कहानियां और सबसे रोचक मणिपुर और पांडवों के नाते का एक रोचक किस्सा...

भीम ने की थी हिडिम्बा नामक युवती से शादी
प्राचीन ग्रंथों में महाभारत कालीन कुछ रोचक कहानियां और किस्से मिलते हैं। कहा जाता है कि देश के इस सात राज्यों के समूह पर जब पांडव प्रवास करने आए तो कई रोचक किस्से भी इतिहास में दर्ज हुए। एक किस्से के मुताबिक महाबली भीम ने हिडिम्बा नामक युवती से विवाह किया था। हिडिम्बा आसाम के बोड़ो जनजाति की सुंदर लड़की थी। भीम विवाह के बाद एक साल तक यहीं रहे और पुत्र के जन्म के बाद वापस चले गए। वहीं हिडिम्बा और हिडिम्ब को राक्षस जाति का बताकर आर्यावत्र्त ने उस दुखी पत्नी के साथ कोई न्याय नहीं किया। उनका पुत्र घटोत्कच भी महाभारत युद्ध में पिता की ओर से लड़कर वीरगति को प्राप्त हो गया।

श्री कृष्ण ने किया था सोलह हजार कन्याओं से विवाह
आसाम में गुवाहाटी शहर में जहां नीलाचल पर्वत पर देवी कामाख्या का निवास स्थान है, बताया जाता है कि वहां नरक नामक असुर का पर्वत है। यहां श्री कृष्ण ने उससे युद्ध किया और उसे मौत के घाट उतार दिया था। इसके पीछे एक स्याह पहलू यह बताया जाता है कि एक नरकासुर था। उसने सोलह हजार कन्याओं को अपहरण कर बंदी बना रखा था। वह इन सभी सोलह हजार कन्याओं से विवाह करने वाला था। श्री कृष्ण ने नरकासुर को मारकर उन्हें हमेशा के लिए मुक्ति दिला दी। मुक्ति के बाद भी वे कन्याएं अपने पिता के घर नहीं जाना चाहती थीं, क्यों कि सालों से बंदी बने रहने के बाद वह घर का पता ही भूल चुकी थीं और नरकासुर की बंदिनी को पिता के घर सम्मान मिलना भी मुश्किल था। ऐसे में श्री कृष्ण ने उन सभी सोलह हजार कन्याओं से विवाह किया और द्वारका ले गए।

यहां पढ़ें मणिपुर का रोचक किस्सा, जहां अर्जुन सुंदरता पर दिल हारे

कहा जाता है कि इंद्रप्रस्थ में युधिष्ठिर का राज्याभिषेक होने के बाद अर्जुन अन्य राज्यों से मित्रता के लिए यात्रा पर निकलते हैं। इसी क्रम में वे पहले नागलोक पहुंचते हैं जहां, उलूपी से इनका प्रेम संबंध बनता है और विवाह होता है। यहां से विदा होकर अर्जुन पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पहुंचते हैं। यहां अर्जुन के एक और प्रेम की शुरुआत होती है।

पहली नजर में ही दिल दे बैठे अर्जुन
मणिपुर में अर्जुन की मुलाकात राजकुमारी चित्रांगदा से होती है। चित्रांगदा राजा चित्रवाहन की पुत्री थीं। चित्रांगदा को देखते ही अर्जुन उन पर मोहित हो गए। अर्जुन ने उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रख दिया। लेकिन चित्रवाहन ने उनके समक्ष एक शर्त रख दी। यह शर्त थी कि अर्जुन और चिद्रांगदा के विवाह से जो पुत्र होगा वह उनके पास ही रहेगा और मणिपुर का उत्ताराधिकारी बनेगा। इसका कारण यह था कि राजा चित्रवाहन को कोई पुत्र संतान नहीं थी। उनकी एक मात्र कन्या थी चित्रांगदा। अर्जुन ने शर्त मानी और चित्रांगदा से विवाह किया। विवाह के बाद चित्रांगदा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उसका नाम रखा गया वभ्रुवाहन। वभ्रुवाहन के जन्म के बाद अर्जुन वापस इंद्रप्रस्थ लौट गए। वहीं बब्रुवाहन का लालन-पालन उनकी पत्नी चित्रांगदा और श्वसुर चित्रवाहन ने किया।

वभ्रुवाहन और अर्जुन के युद्ध में मारे गए थे अर्जुन
युवावस्था को प्राप्त वभ्रुवाहन को मणिपुर का राजा बनाया गया। महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया तो, यज्ञ का अश्व मणिपुर पहुंचा ही था कि जहां वभ्रुवाहन ने अश्व को पकड़ लिया। इस अश्व के लिए अर्जुन और वभ्रुवाहन में युद्ध हुआ। अर्जुन और वभ्रुवाहन के बीच हुए युद्ध में अर्जुन अपने ही बेटे के हाथों मारे गए। दरअसल अर्जुन की चार पत्नियों में से एक उलूपी ने ही वभ्रुवाहन को उकसाया था। चित्रांगदा को जब यह पता चली तो वह उलूपी पर बहुत क्रोधित हुईं।

तब उलूपी ने अर्जुन को दिया जीवनदान
चित्रांगदा के कहने पर उलूपी ने नागमणि से अर्जुन को पुनर्जीवित किया। वहीं उसने इसके पीछे का रहस्य भी चित्रांगदा को बताया। उलूपी ने बताया कि वह एक बार गंगा तट पर गई थी। वहां वसु नामक देवता गणों का गंगा से वार्तालाप हुआ था और उन्होंने यह शाप दिया था कि गंगापुत्र भीष्म को शिखंडी की आड़ से मारने के कारण अर्जुन अपने पुत्र के हाथों मारे जाएंगे तभी पाप मुक्त हो पाएंगे। इसी कारण से उलूपी ने वभ्रुवाहन को लडऩे के लिए प्रेरित किया था।

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