
शनि की साढ़ेसाती और ढैया का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं, लेकिन ज्योतिष में यह माना जाता है कि शनि केवल दंड देने वाला ग्रह नहीं, बल्कि कर्मों का न्याय करने वाला देवता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया जीवन पर गहरा प्रभाव डालती जरूर है, लेकिन यह प्रभाव हमेशा नकारात्मक ही हो, ऐसा जरूरी नहीं। कई बार यही समय जीवन को पूरी तरह बदलने वाला साबित होता है।
जब शनि किसी व्यक्ति की जन्म राशि से बारहवें भाव, उसी राशि और दूसरे भाव में भ्रमण करता है, तो इस पूरे लगभग साढ़े सात साल के समय को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहता है और लगातार तीन चरणों में व्यक्ति को प्रभावित करता है। यही कारण है कि इसे साढ़ेसाती कहा जाता है। इस दौरान शनि व्यक्ति के कर्म, धैर्य और जिम्मेदारी की परीक्षा लेता है।
जब शनि किसी राशि से चौथे या आठवें भाव में गोचर करता है, तो उस ढाई साल के समय को शनि की ढैया कहा जाता है। कई बार सातवें भाव में भी ढैया जैसे प्रभाव देखे जाते हैं। ढैया का असर साढ़ेसाती से छोटा लेकिन तीव्र हो सकता है और यह अचानक करियर, स्वास्थ्य या रिश्तों में बदलाव ला सकती है।
यह सबसे बड़ा भ्रम है। साढ़ेसाती या ढैया का असर व्यक्ति की महादशा, अंतर्दशा, कुंडली में शनि की स्थिति और उसके अष्टकवर्ग पर निर्भर करता है। अगर शनि शुभ स्थिति में हो, तो यही साढ़ेसाती करियर में बड़ी सफलता, ऊंचा पद और समाज में प्रतिष्ठा दिला सकती है। भारतीय राजनीति में कई प्रधानमंत्री अपनी साढ़ेसाती के दौरान ही सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं।
शनि की साढ़ेसाती के समय रिश्तों में तनाव, वैवाहिक जीवन में मतभेद, स्थान परिवर्तन और माता-पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता आमतौर पर देखी जाती है। खासतौर पर साढ़ेसाती के अंतिम चरण में ये समस्याएं ज्यादा उभरकर सामने आती हैं। कई बार स्थान परिवर्तन होते ही साढ़ेसाती या ढैया का दुष्प्रभाव कम हो जाता है।
फिलहाल कुंभ, मीन और मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण, मीन पर मध्य चरण और मेष पर पहला चरण है। वहीं सिंह और धनु राशि पर शनि की ढैया का प्रभाव बना हुआ है।
अगर साढ़ेसाती या ढैया के दौरान माता-पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रहती है, तो दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। रोज संध्या काल में स्नान करके पश्चिम दिशा की ओर मुख करके इसका पाठ करने से शनि के कष्ट कम होते हैं और परिवार की रक्षा होती है।
Updated on:
28 Dec 2025 02:46 pm
Published on:
28 Dec 2025 02:45 pm
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