
Sharad Purnima
नई दिल्ली। पूरी रात अमृत बरसाने वाला दिन शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है। यह पर्व हिंदूओं के लिए सबसे खास महत्व रखता है क्योंकि चंद्रमा इस दिन 10 कालाओं से युक्त होकर अमृत बरसाता है। जो हर किसी की परेशानियाों से छुटकारा देने के साथ शरीर को स्वस्थ रखने वाला होता है। बिहार के मिथिलांचल में इस दिन काफी बड़ा उत्साह देखने को मिलता है। जिसमें कि नव विवाहित जोड़े के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है इस दिन लोग पूरी रात जागकर इस त्योहार को मनाते है। इस साल 30 अक्टूबर 2020 यानी शुक्रवार को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी , सागर मंथन से समुद्र से उत्पन्न हुई थीं इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागिरी या कोजागरी की रात कहा जाता है।
कोजागिरी का महत्व
मिथिलांचल में शरद पूर्णिमा की रात पूजाकरने के बाद नवविवाहित दूल्हे के घर उत्सव का माहौल रहता है। लोग इस दिन दूल्हे को दही, धान, पान, सुपारी, मखाना, चांदी के कछुए, मछ्ली, कौड़ी चढ़ाकर पूजन करते है। इस दिन दुल्हन के घर से भी दुल्हे के साथ उसके घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े मिठाई और मखाना भेजा जाता है। वर की पूजा के बाद सगे-संबंधियों और परिचितों को मखाना, पान, बताशे, लड्डू बाटें जाते है। घर के बड़े बुजुर्ग इस दिन वर को दही लगाकर दुर्घायु औऱ सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं। लोग मखाना,पैसे और बताशे लुटाकर उत्सव का आनंद मनाते हैं. इसे विवाह के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्सव माना गया है।
Updated on:
29 Oct 2020 12:37 pm
Published on:
29 Oct 2020 12:31 pm
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