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Somvati Amavasya: 30 साल बाद सोमवती अमावस्या पर बना ऐसा दुर्लभ संयोग, पूजा से मिलेगी दरिद्रता, पितृ और प्रेत दोष से मुक्ति

Somvati Chaitri Siniwali Amavasya rare coincidence स्नान दान की चैत्री अमावस्या 2024 कई दुर्लभ संयोग वाली है। इस साल कई ऐसे शुभ योग बन रहे हैं, जो 30 साल बाद बनेंगे। इन्हीं में एक सिनीवाली संयोग में सोमवती अमावस्या का भी होना है। इसके साथ ही मीन राशि में 4 विशिष्ट ग्रहों की युति भी बन रही है। इसके चलते इस दिन पूजा का विशेष फल मिलेगा, दरिद्रता और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाएगी। आइये जानते हैं इस दिन और कौन से विशेष योग बन रहे हैं।

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Pravin Pandey

Apr 05, 2024

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सिनीवाली चैत्र अमावस्या पर दुर्लभ संयोग


स्नान, दान-ध्यान की अमावस्या पर इस बार सोमवती योग बन रहा है। सोमवार के दिन 8 अप्रैल को मीन राशि के चंद्रमा, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, इंद्र योग, चतुष्पद करण की साक्षी में सोमवती चैत्री सिनीवाली अमावस्या का योग है। साथ ही मीन राशि में चार ग्रहों की युति बनेगी।


पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि यह अमावस्या विशेष है क्योंकि उदय काल से ही अमावस्या का प्रभाव सूर्य सिद्धांत की गणना से आरंभ होगा। यह अमावस्या विशेष मानी गई है क्योंकि तीन प्रकार की अमावस्या का उल्लेख है सिनीवाली अमावस्या, कुहू अमावस्या और दर्श अमावस्या। इन तीनों प्रमुख अमावस्या का क्रम देखें तो सिनीवाली को प्रमुखता का दर्जा प्राप्त है। इस दृष्टि से यह अमावस्या विशेष है।

डब्बावाला ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में ग्रह गोचर की गणना का गणित अलग-अलग प्रकार का माना जाता है। कभी सूर्य सिद्धांत की गणना, कभी चंद्र सिद्धांत की गणना या कभी ग्रह विशेष की गणना से भी पर्व काल में अलग-अलग प्रकार के योग-संयोग का निर्माण हो जाता है। इसके कारण उनकी संज्ञा विशिष्ट हो जाती है।


अमावस्या तिथि पर दरिद्रता के निवारण के लिए पितरों की पूजा और रात्रि में भगवती की साधना विशेष मानी गई है। इस दृष्टि से जब गणना अनुक्रम में तीन दशक में एक बार इस प्रकार के योग बनते हो तो वह विशेष लाभ प्रदान करके जाती है। शनि की गणना से देखें तो वर्तमान में शनि कुंभ राशि में चल रहे हैं और इस प्रकार का योग तीन दशक पूर्व बना था। इस दृष्टि से यह विशेष पुण्यदायी मानी जाएगी।

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ग्रह गोचर में एक योग और भी है कि इस दिन चार ग्रह एक राशि में रहेंगे। मीन राशि में सूर्य, चंद्रमा, राहु और शुक्र ग्रह रहेंगे। ये चारों ग्रह अलग ही प्रकार के केंद्र और त्रिकोण योग का निर्माण कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भी यह पितृ दोष की निवृत्ति के लिए विशेष योग माना जाता है क्योंकि सूर्य, राहु दोनों को पितरों का कारक समकारक ग्रह बताया गया है। ऐसी स्थिति में यदि राहु का भी अनुक्रम हो तो ज्ञात अज्ञात दोषों की निवृत्ति के लिए भी या प्रेतत्व दोष की मुक्ति के लिए भी इस दिन पूजा की जा सकती है।