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रक्षाबंधन पर सुपर ब्‍लू मून, आकाश में ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आएगा चांद

Super Blue Moon on Raksha Bandhan: सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन का दिन आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण तो है ही, खगोल विज्ञानियों के लिए भी बेहद खास है। रक्षाबंधन पर सुपर ब्लू मून दिखेगा यानी इस दिन चांद और भी चमकदार दिखेगा। आइये जानते हैं खास बातें ...

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Super Blue Moon on Raksha Bandhan

रक्षाबंधन पर सुपर ब्‍लू मून

Super Blue Moon on Raksha Bandhan: खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार रक्षाबंधन की रात दुर्लभ खगोलीय घटना होने जा रही है। इसके बाद ऐसी घटना मार्च 2037 में ही घटेगी। इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होने से ज्यादा बड़ा और चमकीला नजर आएगा। भोपाल की विज्ञान प्रसारक सारिक घारु के अनुसार पृथ्‍वी के चारों ओर अंडाकार पथ में परिक्रमा करता पूर्णिमा का चंद्रमा पास के बिंदु पर होता है तो चंद्रमा बड़ा और चमकदार दिखता है, इसे सुपरमून कहते हैं ।


19 अगस्त को चंद्रमा 3 लाख 61 हजार 969 किमी की दूरी पर रहते हुए पृथ्‍वी से नजदीक होगा। इसके कारण रक्षाबंधन की शाम को चंद्रमा और अधिक चमकदार होगा यानी पूर्णिमा का चंद्रमा सुपरमून के रूप मे दिखने जा रहा है । यह आम पूर्णिमा के चंद्रमा से ज्‍यादा बड़ा और अधिक चमकदार होगा ।

30 फीसदी ज्यादा चमकीला नजर आएगा चांद

खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार 19 अगस्त को चांद पृथ्वी से अपनी सर्वाधिक दूरी के मुकाबले लगभग 41,985 किमी ज्यादा नजदीक होगा। इससे रक्षाबंधन की रात चांद पृथ्वी से अपनी सर्वाधिक दूरी के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकीला नजर आएगा।

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खगोल विज्ञान के एक सीजन में तीसरी पूर्णिमा

सारिका ने बताया कि चंद्रमा माह में एक दिन पृथ्‍वी से सबसे दूर होता है, इसे अपोजी कहते हैं तो एक दिन पास के बिंदु पर आ जाता है, इसे पेरिजी कहते है । आज के इस सुपरमून को ब्‍लूमून भी नाम दिया गया है, हालांकि चंद्रमा नीला नहीं होगा। क्‍योंकि 21 जून से 22 सितम्‍बर के खगोलीय सीजन में पड़ने वाले चार पूर्णिमा (21 जून, 21 जुलाई, 19 अगस्त और 18 सितंबर) में से यह तीसरी पूर्णिमा का चांद है।

क्या है ब्लूमून, क्या चांद का रंग बदलता है

ब्लूमून नाम से कई लोगों के मन में सवाल आ रहा होगा कि इस दिन चांद नीला तो नजर नहीं आता? खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लूमून के अवसर पर चांद का रंग नहीं बदलता और यह नीला नजर नहीं आता। खगोल विज्ञान में जब एक माह में दो पूर्णिमा (मासिक ब्लू मून) या तीन माह में चार पूर्णिमा (सीजनल ब्लू मून) पड़ती हैं तो इस घटना को ब्लू मून कहते हैं। इस बार तीन माह के एक मून सीजन में चार पूर्णिमा पड़ रही हैं जो एक माह में दो पूर्णिमा वाले संयोग के मुकाबले ज्यादा दुर्लभ होती है और कई वर्ष के अंतराल में एक बार ही यह संयोग बनता है।


इसके बाद सीजनल ब्लू मून का संयोग मई 2027 में जबकि मासिक ब्लू मून का संयोग अगस्त 2026 में ही बनेगा। इससे पहले मासिक ब्लू मून 30 अगस्त 2023 को था। लेकिन 19 अगस्त का ब्लू मून सीजनल तो है ही, धरती के सर्वाधिक निकट होने के कारण एक सुपरमून भी है। इस संयोग ने इसे सर्वाधिक दुर्लभ बना दिया है और यह संयोग मार्च 2037 में ही दिखेगा।

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20 साल तक लग जाता है ऐसी घटना में

खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार सुपरमून यानी चांद के पृथ्वी के निकट आने की घटना तो साल में तीन से चार बार होती है और सभी पूर्ण चंद्रमाओं में से 25 फीसदी सुपरमून होते हैं लेकिन इनमें से मात्र 3 फीसदी ही ब्लू मून भी होते हैं। इस बार यह दोनों संयोग बन रहे हैं। इस कारण सुपर ब्लू मून की दुर्लभ घटना में 10 से 20 साल तक का समय लग जाता है।