
Surya Ko Arghya Ke Labh : सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
Surya Ko Arghya Ka Niyam: सूर्य का वैदिक सभ्यता में बड़ा महत्व है, इन्हें जहां हिंदू धर्म में प्रत्यक्ष देवता माना जाता है तो ज्योतिष में इन्हें आत्मा, पद प्रतिष्ठा के कारक और ग्रहों के राजा का दर्जा प्राप्त है।
ये कार्य एक विद्यार्थी के जीवन को भविष्य में प्रभावित करते हैं, इसलिए ज्योतिषियों का मानना है कि विद्यार्थियों को सूर्योदय से पहले अरुणोदय की स्थिति में ये काम जरूर करना चाहिए, इससे उनके ग्रह साथ देने लगेंगे। आइये जानते हैं कि विद्यार्थियों को सूर्योदय से पहले क्या काम करना चाहिए।
वायु पुराण के अनुसार विद्यार्थियों को प्रातःकाल स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, बिना भगवान सूर्य को अर्घ्य दिए कोई भी पूजा कर्म नहीं करना चाहिए। विद्यार्थी का कर्म पूजा से कम नहीं है। सूर्योदय से पूर्व अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे में चावल, लाल चंदन, लाल पुष्प डालकर ऊँ घृणि हि सूर्याय नमः मंत्र पढ़ते हुए 3 बार अर्घ्य दें और सूर्योदय के बाद अर्घ्य दे रहे हैं तो यही प्रक्रिया 4 बार अपनानी चाहिए, ये चौथा अर्घ्य प्रायश्चित के निमित्त होता है।
27 जनवरी को जयपुर में ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास की ओर से आयोजित ज्योतिष ज्ञान महोत्सव अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में ज्योतिषी डॉक्टर खेमराज शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को सूर्योदय से पूर्व उठकर नियम से सूर्य को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। यह अत्यंत उपयोगी नियम है, जिससे वे अपनी ग्रह दशा सुधार कर बेहतर भविष्य प्राप्त कर सकते हैं। आइये जानते हैं सूर्य को अर्घ्य देने के क्या फायदे हैं।
डॉ. खेमराज के अनुसार सूर्य पृथ्वी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इन्हीं के कारण ऊर्जा, शक्ति, अन्न, जल इत्यादि मिलता है। विद्यार्थियों के सूर्य नारायण को जल देने से उनका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों तरह का विकास होता है।
यदि कोई विद्यार्थी सुबह उठकर सूर्य को विधिपूर्वक जल अर्पित करता है तो उसके जीवन में कई तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं। उसे कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाने की भी मान्यता है। यदि विद्यार्थी सूर्य को अर्घ्य देते हैं उन्हें ये फायदे हो सकते हैं।
सूर्य को अर्घ्य देते समय उसका परावर्तित होकर आंखों पर सकारात्मक असर डालता है। इसके अभ्यास से रंगों का असंतुलन दूर होता है नेत्र दोष दूर होता है और आंख की ज्योति बढ़ती है।
सूर्य की किरणें विटामिन डी की प्रमुख स्रोत हैं, सुबह उठकर सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया में हमें विटामिन डी मिलती है। इससे हमारी हड्डियां मजबूत होती है और विद्यार्थी का शरीर और मन स्वस्थ होगा। इससे उसकी तरक्की की राह भी खुलेगी।
सुबह की सूर्य की किरणों के प्रभाव से हमारे शरीर के बैक्टीरिया, जीवाणु, विषाणु नष्ट या निष्प्रभावी हो जाते हैं। इस तरह यह विद्यार्थी को संक्रमणों और रोगों से सुरक्षा भी देता है।
सूर्य को जल देने और जल की धारा पर ध्यान केंद्रित करने से हमारा मन पहले की तुलना में ज्यादा एकाग्र और शांत बनता है। इससे आपको अपने काम पर ध्यान देने में दिक्कत नहीं आएगी। यदि हमारा काम में ध्यान नहीं लगता है, जिससे काम पूरा करने में देरी होती है तो सूर्य को अर्घ्य देना आपके काम आ सकता है। क्योंकि सूर्य को जल देने से मन केंद्रित होता है। साथ ही सोचने-समझने की क्षमता भी विकसित होगी।
सूर्य को जल देते समय हमारी छाती सूर्य के सामने होती है जिसमे प्रकाश सोखने की क्षमता सबसे अधिक होती है। यह प्रकाश हमारे हृदय तक पहुंचता है जो हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इससे हमारे मन से दूषित विचार दूर होते हैं, चित्त शांत और प्रसन्न रहता है। इच्छाशक्ति मजबूत होने से अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। इससे उन्नति के इच्छुक लोगों को सूर्य देव को जल देने का नियम शुरू करना चाहिए
नित्य सूर्य देव को जल चढ़ाने से हृदय रोग की आशंका का हो जाती है। साथ ही स्नान के बाद जब हम सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं तो हमारे शरीर के असंख्य रोमछिद्र सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं। यह सूर्य का प्रकाश हमे कई प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह आपकी स्किन संबंधित सभी तरह की समस्याओं को जड़ से नाश करने में सहायक होता है। विदेशों में सन बाथ की परंपरा इसके महत्व को समझाने के लिए कम नहीं है।
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सूर्य भगवान को जल देने से स्वास्थ्य लाभ तो मिलता ही है, इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। मान्यता है कि सूर्योदय से पहले सूर्य को अर्घ्य देने से नौकरी या व्यवसाय में किसी प्रकार की समस्या आ रही है तो वह दूर हो जाती है। पैतृक संपत्ति में कोई विवाद चल रहा है तो वह भी दूर हो जाता है। एकाग्रचित्त होकर सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मकता आती है, शरीर स्वस्थ होता है, जिससे छवि में सुधार आता है, समाज में मान-सम्मान में भी वृद्धि देखने को मिलती है।
1.इसके लिए हमें सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और एक तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करें।
2. अब अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर, उन्हें थोड़ा आगे की ओर झुकाकर सूर्य देव की ओर जल को एक सीधी धारा में नीचे गिराएं।
3. सूर्य देव को जल देते समय हमें उस जल की गिरती धारा में निरंतर देखना होता है। इस समय ऊँ घृणि हि सूर्याय नमः मंत्र बोलना चाहिए।
4. बर्तन का सारा जल चढ़ाने के बाद विद्यार्थी या कोई व्यक्ति उस जल को छूकर अपने माथे और आंखों पर लगाए, साथ में उसकी तीन परिक्रमा करे।
5. अर्घ्य देते समय पात्र कंधे से ऊपर नहीं जाना चाहिए।
Updated on:
31 Jan 2025 09:03 am
Published on:
31 Jan 2025 06:00 am
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