
8 नवम्बर 2016 को रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन के खिलाफ नोटबंदी की घोषणा कर सामान्तर अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए सबसे बड़ा दाव खेला, लेकिन वास्तुशास्त्रियों की मानें तो भारत में मोदी का यह दाव सफल नहीं हो पाएगा।
वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि हमारे देश की वास्तु विपरीत भौगोलिक स्थिति में है। जब हम पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति का वास्तु सिद्धांतों के अनुसार अध्ययन करते हैं, तो हम पाते हैं कि जो राष्ट्र प्रभुत्ता सम्पन्न, शक्तिशाली एवं समृद्धशाली है जिनकी ताकत का लोहा विश्व के अन्य देश मानते हैं।
ऐसे कई देश हैं चाहे उनका आकार छोटा है और आबादी भी काफी कम है। उन देशों के दक्षिण-पश्चिम दिशा में ऊंचाई है और उत्तर-पूर्व दिशा में नीचाई है। वह देश जिनका ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर है और अर्थात् नदियों का पानी दक्षिण और पश्चिम दिशा से उत्तर और पूर्व दिशा की ओर बहता है अर्थात् जिन देशों का ढ़लान नार्थ पोल की ओर है, वह राष्ट्र विकसित है वहां भ्रष्टाचार कम है, वह राष्ट्र दबंग है जैसे अमेरिका, कनाडा, इंग्लैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, रूस, इजरायल इत्यादि।
इसके विपरित जिन देशों में उत्तर-पूर्व दिशा में ऊंचाई और दक्षिण-पश्चिम दिशा में निचाई है अर्थात् उन देशों की जमीन में दक्षिण और पश्चिम दिशा में ढलान है, देश की नदियों का पानी उत्तर और पूर्व दिशा से बहकर दक्षिण और पश्चिम दिशा की ओर जाता है अर्थात् जिन देशों का ढ़लान साउथ पोल की ओर है, उन देशों में बेईमानी, भ्रष्टाचार ज्यादा देखने में आता है यह देश गरीब है, अविकसित है और कम विकसित होने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की समस्याओं से सदियों से जूझ रहे हैं जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, म्यांमार, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, इटली, ग्रीस, अफ्रीका महाद्वीप और साऊथ अमेरिका के लगभग सभी देश इत्यादि।
भारत की भौगोलिक स्थिति का वास्तु विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि हमारे भारत देश की भौगोलिक स्थिति में एक शुभ लक्षण यह है कि वह पूर्व की ओर झुका हुआ है। इसीलिए हमारा देश संसार के सभी देशों पर अपने धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और दार्शनिक प्रभाव डालता रहा है और आज भी डाल रहा है और हमेशा डालता रहेगा।
भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत की ऊंचाई है। देश की उत्तर से निकलने वाली नदियों का पानी पूर्व दिशा की ओर बहते हुए बांग्लादेश से होता हुआ बंगाल की खाड़ी में गिर रहा है साथ ही भारत की उत्तर दिशा नेपाल और भूटान के कारण कटी हुई है। इस कारण हमारे देश में इतनी आबादी होने के बाद भी देश को और उसकी प्रतिभाओं को विभिन्न क्षेत्रों में जितना यश, सम्मान और प्रसिद्धि मिलना चाहिए उसमें कमी रहती है।
इसी कारण अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में उचित स्थान नहीं मिल पाता है। क्योंकि उत्तर दिशा के दोष के कारण ही यश में कमी आती है। भारत के उत्तर दिशा एवं ईशान कोण जहां अरुणाचल प्रदेश वाला भाग ऊंचाई लिए हुए है। इसके साथ ही पूर्व दिशा में ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं, जहां इम्फाल, मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय स्थित है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हमारे देश में गरीबी है, नैतिक पतन होता है और हमारे देशवासियों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यही ऊंचाई देश के विभाजन का कारण बनी, अब देश के अन्दर राज्यों के विभाजन का कारण बन रही है। भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी है, दक्षिण में हिन्द महासागर है और पश्चिम में अरेबिया सागर है। इसके आग्नेय और नैऋत्य कोण में भी जल ही जल है। इसीलिए हमारे भारत पर आजादी के पहले और बाद में अनेक विदेशियों ने आक्रमण किए, हमारी जमीन पर अधिकार जताए और दुख की बात है कि यह स्थिति अभी भी बनी हुई है और आगे भी बनी रहेगी।
भारत की उत्तर दिशा को छोड़कर तीनों दिशाओं में नीचाई जहां नदियों का पानी समुद्र में मिलता है। उत्तर से आने वाली नदियों का पानी पूर्व दिशा में बहता हुआ बंग्लादेश होता हुआ बंगाल की खाड़ी में गिरता है। यह स्थिती भारत की आर्थिक स्थिति को संभालने में सहायक हो रही है तो दूसरी ओर जम्मू कश्मीर एवं पंजाब निकलने वाली नदियों का पानी पश्चिम वायव्य होता हुआ पाकिस्तान तक चला जाता है। इस कारण हमारे शत्रुओं की संख्या ज्यादा है।
इसी कारण देश के शासकों को मानसिक व्यथा बनी रहती हैं। देश की कुछ नदियों का पानी नैऋत्य कोण की ओर भी बहता है अर्थात् देश का नैऋत्य कोण भी नीचा है। इस वास्तुदोष के कारण धन नष्ट होता है और नैतिक पतन होता है।
देशवासियों को स्वास्थ्य संबंधी कष्ट अधिक होते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान ऊंचा हो और नैऋत्य कोण नीचा हो तो निर्धनता रहती है, नैतिक पतन होता है आग्नेय कोण में नीचाई हो तो शत्रुओं से कष्ट होता है और युद्ध होते हैं।
Published on:
24 Nov 2016 02:37 pm
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