
जब भी भारत में कोई व्यक्ति कार खरीदने जाता है तो उसकी सबसे पहली डिमांड ये होती है कि कार माइलेज कितना देती है। अगर माइलेज अच्छा है तो कार के अन्य फीचर्स उतना मायने नहीं रखते हैं। ये बात तो किसी से भी छिपी नहीं है कि पेट्रोल और डीजल के दाम कितनी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। आज के समय में कारों में ये टेक्नोलॉजी दी जाती है कि कार का माइलेज कितना है ये पता लग जाता है, लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। आज हम यहां जानेंगे कि कार का माइलेज कैसे पता लगाया जाता है।
मीटर के अनुसार
माइलेज की जानकारी के लिए फ्यूल टैंक को उसकी पूरी क्षमता तक भर लीजिए और उस कार के ट्रिप मीटर को शून्य पर कर दीजिए। जिन कारों में ट्रिप मीटर नहीं होता है उसमें कार कितना चली है उस मीटर में देखकर उसे नोट कर लो और कार को रिजम में लगने तक चलाओ और देखो कि कार कितने किमी चली है। इसके बाद माइलेज कंफर्म करने के लिए फ्यूल टैंक में भरे ईंधन और गाड़ी कितने किमी चली उसे भाग कर दो। जैसे 300 किमी गाड़ी चली और 18 लीटर पेट्रोल डलवाया था तो गाड़ी का माइलेज 16.66 किमी प्रति लीटर का माइलेज दे रही है।
सिर्फ एक बार ऐसा करके माइलेज की ठीक जानकारी नहीं मिल सकती है। इसके लिए आपको कई बार ऐसा करके नोट करना होगा, जिसके बाद औसतन माइलेज निकलेगा। कार किस तरह की सड़क पर चल रही है और जाम में चल रही है या खुली सड़क पर चल रही है ये बहुत ज्यादा मायने रखता है। हाइवे और सिटी में कार का माइलेज अलग-अलग होता है।
टेक्नोलॉजी के इस युग में बहुत से ऐप्स भी आ गए हैं, जिनसे माइलेज के बारे में पता लग जाता है। ये ऐप जीपीएस के जरिए काम करते हैं और उसके अनुसार कार का माइलेज पता लगता है। इसी के साथ कार से सही माइलेज प्राप्त करने के लिए अधिकतम स्पीड पर चलाने से बचें, जाम वाली सड़कों पर न जाएं और समय पर कार की सर्विस करवाते रहें।
Published on:
02 May 2018 10:31 am
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