
नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों में जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है, उसी तेजी के साथ इन इलेक्ट्रिक वाहनों की खराब हो रही बैटरियों को दोबारा इस्तेमाल में लाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है जीवन के अंत तक पहुंचने वाली बैटरी का क्या करना है, यह भी धीरे-धीरे तेज हो रहा है।
IDTechEx की नई रिपोर्ट के अनुसार सेकंड-लाइफ इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी 2020-2030 के अनुसार 2030 तक प्रति वर्ष इलेक्ट्रिक वाहनों से 6 मिलियन से अधिक बैटरी पैक रिटायर होंगे।
आपको बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों में 8-10 सालों तक काम करने के बाद भी इन बैटरीज में 70-80 प्रतिशत तक ऊर्जा कायम रहती है जिसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है और ऊर्जा संरक्षण के काम में लाया जा सकता है।
जितने भी बैटरी पैक इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल किये जा रहे हैं उनकी एज कुछ समय में खत्म होने वाली है ऐसे में आने वाले दस वर्षों में रिटायर्ड बैटरी की मात्रा में भारी वृद्धि देखी जाएगी। कई विशेषज्ञों का मानना है ये बैटरीज कि बिजली बाजार में ऊर्जा भंडारण उपकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
IDTTEx विश्लेषण के मुताबिक़ "2030 तक, सेकंड लाइफ बैटरी की क्षमता प्रति वर्ष 275GWh से अधिक होगी, जो ऊर्जा भंडारण के लिए बेहतरीन रहेंगी। कई इंटरनैशनल ऑटोमोबाइल कंपनियों जैसे निसान, रेनॉल्ट, बीएमडब्ल्यू और बीवाईडी सभी ने सेकंड लाइफ बैटरी पर विभिन्न परियोजनाएं और व्यावसायिक पहल शुरू की हैं।
आपको बता दें कि फरवरी 2019 में, निसान एनर्जी और ओपस कैंपर्स ने एक स्मार्ट कैंपिंग कॉन्सेप्ट पर सहयोग किया है, जो "ऑफ-ग्रिड" रोमांच के लिए एक सप्ताह का रिमोट पावर प्रदान करने के लिए सेकंड लाइफ इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी का उपयोग करता है। यह सह-निर्मित अवधारणा निसान द्वारा डिज़ाइन किए गए Roam नामक उपकरण द्वारा संभव है।
Published on:
29 Sept 2019 04:01 pm
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