21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देश में लॉन्च हुई पहली हाइड्रोजन फ़्यूल सेल इलेक्ट्रिक बस, जानिए कैसे काम करती है ये तकनीक और क्या हैं इसके फायदे

Hydrogen Fuel Cell Bus: हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEV) का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि, ये कोई कार्बन या गंदा धुआं नहीं छोड़ते हैं। वे केवल भाप (जल वाष्प) और गर्म हवा का उत्सर्जन करते हैं।

3 min read
Google source verification
hydrogen_fuel_cell_bus-amp.jpg

First hydrogen fuel cell Bus launched by KPIT-CSIR in Pune

केंद्रीय राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह ने रविवार को पहली मेड इन इंडिया हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस की शुरुआत की, जिसे पुणे में KPIT-CSIR द्वारा विकसित किया गया है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और निजी फर्म केपीआईटी लिमिटेड द्वारा विकसित बस को पुणे में प्रदर्शित किया गया है। ये भारत की पहली हाइड्रोजन फ़्यूल सेल बस है, जिसे पूरी तरह से भारत में ही तैयार किया गया है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का 'हाइड्रोजन विजन' भारत के लिए मोबिलिटी क्षेत्र में आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की कुंजी है। यह यह भी सुनिश्चित करेगा कि जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करते हुए इंडियन मोबिलिटी को ऊर्जा प्रदान करने वाली एनर्जी स्वच्छ और सस्ती हो। हाइड्रोजन सेक्टर के विकास से नए रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि डीजल से चलने वाले भारी वाणिज्यिक वाहन पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन के सबे प्रमुख कारण हैं और लगभग 12-14 प्रतिशत CO2 उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। वाणिज्यिक वाहनों में हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन कमी लाने में भारी मदद मिलेगी। एक डीज़ल बस साल भर में तकरीबन 100 टन कॉर्बन का उत्सर्जन करती है, और देश में ऐसी तकरीबन दस लाख से अधिक बसें हैं, इससे आप आसानी से अंदाज लगा सकते हैं कि यदि इन हाइड्रोज़न से संचालित बसों का प्रयोग किया जाएगा, तो किस हद तक कॉर्बन के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।


क्या होती हाइड्रोज़न फ़्यूल सेल तकनीक:

इस बस को चलने के लिए पारंपरिक फ़्यूल पेट्रोल-डीज़ल की नहीं बल्कि हाइड्रोजन फ़्यूल की जरूरत होती है। बस में मौजूद हाइड्रोजन ईंधन सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं को मिलाकर बिजली पैदा करता है। बिजली, पानी और थोड़ी मात्रा में गर्मी पैदा करने के लिए दो गैसें एक पारंपरिक बैटरी सेल के समान एक इलेक्ट्रोकेमिकल सेल में प्रतिक्रिया करती हैं। इस बिजली का उपयोग बस में लगे इलेक्ट्रिक मोटर्स को संचालित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।


कैसे काम करता है हाइड्रोजन सेल:

फ्यूल सेल, ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में पाई जाने वाली पारंपरिक बैटरियों की तरह ही काम करते हैं, लेकिन वे डिस्चार्ज नहीं होते हैं और उन्हें बिजली से रिचार्ज करने की आवश्यकता भी नहीं होती है। जब तक हाइड्रोजन की आपूर्ति है तब तक वे बिजली का उत्पादन जारी रखते हैं। पारंपरिक सेल्स की तरह, एक फ्यूल सेल में एक इलेक्ट्रोलाइट के चारों ओर एक एनोड (नेगेटिव इलेक्ट्रोड) और कैथोड (पॉजिटिव इलेक्ट्रोड) होता है।

यह भी पढें: 6 हजार के खर्च में घर लाइये नई Maruti Alto K10, जानिए फाइनेंस की पूरी जानकारी

एनोड को हाइड्रोजन की और कैथोड को एयर यानी कि ऑक्सीजन की फिडिंग की जाती है। एनोड पर, उत्प्रेरक हाइड्रोजन अणुओं को प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों में अलग करता है और दोनों उप-परमाणु कण कैथोड के लिए अलग-अलग रास्तों से आगे बढ़ते हैं। इलेक्ट्रॉन एक बाहरी सर्किट से गुजरते हैं, जिससे बिजली का प्रवाह होता है जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर्स को बिजली देने के लिए किया जाता है। दूसरी ओर, प्रोटॉन इलेक्ट्रोलाइट के माध्यम से कैथोड में चले जाते हैं। एक बार जो वो ऑक्सीजन और इलेक्ट्रॉन से मिलते हैं तो पानी और हीट पैदा होता है।


हाइड्रोजन संचालित वाहनों के फायदे:

हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEV) का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि, ये कोई कार्बन या गंदा धुआं नहीं छोड़ते हैं। वे केवल भाप (जल वाष्प) और गर्म हवा का उत्सर्जन करते हैं। इतना ही नहीं एक आंतरिक दहन इंजन (आज के समय के पेट्रोल-डीजल कारों के इंजन) की तुलना में ज्यादा बेहतर परफॉर्म करते हैं। आमतौर पर इनका मेंटनेंस भी काफी किफायती और सुलभ है। इस तरह के वाहन का एक और बड़ा फायदा ये है कि, जहां बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक बस को चार्ज करने में घंटों लग सकते हैं वहीं हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों को मिनटों में रिफिल किया जा सकता है।