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Tyre Care: क्योंकि हर टायर है खास, नज़रअंदाज करना पड़ सकता है भारी

जिस तरह से हम अपने वाहन की सर्विस करवाते हैं ठीक उसी तरह टायर्स की देखभाल भी बेहद जरूरी होती है, वरना इन्हें नज़रअंदाज करना काफी भारी भी पड़ता है, क्योंकि ये टायर्स हैं खास...अगर टायर्स सही कंडीशन में हों तो होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में कमी देखने को मिलेगी।

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Tyre Care

किसी भी वाहन में हर एक पार्ट अहम् होता है लेकिन टायर्स (Tyres)के बिना कोई भी अधूरा ही है। जिस तरह से हम अपने वाहन की सर्विस करवाते हैं ठीक उसी तरह टायर्स की देखभाल भी बेहद जरूरी होती है, वरना इन्हें नज़रअंदाज करना काफी भारी भी पड़ता है, क्योंकि ये टायर्स हैं खास...अगर टायर्स सही कंडीशन में हों तो होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में कमी देखने को मिलेगी। ऐसे में यहां हम आपको टायर्स की केयर से जुड़ी कुछ खास जानकारियां दे रहे हैं...

टायर्स के बारे में ये जानकारी अहम् है

बाइक और कार के टायर अलग-अलग प्रकार के होते हैं और उसकी जानकारी टायर के साइड में लिखी होती है। उदाहरण के लिए किसी टायर के आगे P लिखा रहता है। 'P' का मतलब होता है टायर पैसेंजर कार का है। कार के टायर पर अगर यह नंबर P215/55R15 90S लिखा है। इसका मतलब है कि टायर की चौड़ाई 215mm है, 55 का मतलब ऑस्फेक्ट रेशियो और R का मतलब रेडियल होता है जबकि 15 का मतलैब होता रिम का साइज।

इसके अलावा 90 का मतलब होता है लोड, यानी यह कार टायर पर कितना बोझ उठाया जा सकता है। और S टायर की स्पीड रेटिंग को बताता है। हर टायर के गति की अधिकतम सीमा होती है। इसके लिए A1 से लेकर Y तक की रेटिंग दी जाती है। A1 रेटिंग वाले टायर 5 kmph और Y रेटिंग वाले टायर 300kmph की मैक्सिमम रफ्तार पर चल सकते हैं।

अलग-अलग तरह के होते हैं टायर्स

टायर्स दो प्रकार के होते हैं। एक ट्यूब वाला और दूसरा ट्यूबलेस टायर होता है। लेकिन अब जमाना ट्यूबलेस टायर्स का ही है। ट्यूबलेस टायर से सड़क पर बेहतर ग्रिप और कंट्रोल मिलता है। ट्यूबलेस टायर का बड़ा फायदा यह है कि अगर सफर के दौरान कभी टायर पंक्चर भी हो जाए तो इसमें से हवा तुरंत नहीं निकलती, इसलिए सफर बाधित नहीं होता है। स्टील रिम पर भी ट्यूबलेस टायर्स अच्छी परफॉमेंर्स देते हैं।


टायर्स बदलने का सही समय

समान्य तौर पर 40,000 किलोमीटर चलने के बाद टायर बदल देना चाहिए। अगर आपको इसके बाद भी लगता है कि टायर ठीक हालत में है तो इनका इस्तेमाल 10,000 किलोमीटर तक और इस्तेमाल किया जा सकता है। उसके बाद आपको टायर्स को बदलावा देना चाइये। वाहन नियमों के की मानें तो, टायर पर बने खांचे (ट्रेड) की गहराई 1.6mm रह जाए तो टायर बदल दिया जाना चाहिए। टायर्स उम्र पांच साल होती है।


टायर्स की ऐसे करें देखभाल

अगर आप रोजाना 100 किलोमीटर या इससे ज्यादा की दूरी तय करते हैं तो आपको हर तीसरे या चौथे दिन टायर्स में हवा चेक करवानी चाइये। जितनी हवा कंपनी ने बताई है आपको सिर्फ उतनी ही भरवानी चाहिए। कम या ज्यादा हवा के चलते टायर्स की परफॉरमेंस में कमी आती है। इसके अलावा हर 5000 किलोमीटर पर व्हील अलाइनमेंट और रोटेशन कराने करना चाइये, इससे टायर्स की परफॉरमेंस बढ़ जाती है।

वाहन में ओवरलोडिंग न करें

टू-व्हीलर हो या फोर-व्हीलर, कभी भी ओवरलोडिंग नहीं करनी चाहिए। उतना ही सामान रखना चाइये जितना वाहन की कैपसिटी है। क्योंकि ज्यादा लोड करने से गाड़ी की परफॉरमेंस और टायर्स पर बुरा असर पड़ता है।


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