19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Acharya Prashant: राम के स्पर्श ने रामभोला को तुलसीराम और तुलसीराम को तुलसीदास बना दिया

भगवान तो भक्त को रचता ही है, भक्त के हाथों भी भगवान की रचना निरंतर होती रहती है।

less than 1 minute read
Google source verification
acharya_prashant.jpg

Acharya Prashant

पूर्व सिविल सेवा अधिकारी और प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने प्रभु श्री राम के भक्ति की अनुपम व्याख्या की है। संत कबीर के दोहे का उल्लेख करते हुए आचार्य प्रशांत ने प्रभु श्री राम के रूपों और उनके लीलाओं को परिभाषित किया है।

‘एक राम दशरथ का बेटा,एक राम घट घट में बैठा।
एक राम है सकल पसारा, एक राम है जग से न्यारा।।’

तुलसी और वाल्मीकि के राम
आचार्य प्रशांत बताते हैं कि राम के स्पर्श ने रामभोला को तुलसीराम और तुलसीराम को तुलसीदास बना दिया। लेकिन याद रखना होगा कि जैसा भक्त होता है, वैसा ही उसका भगवान भी होता है। भगवान तो भक्त को रचता ही है, भक्त के हाथों भी भगवान की रचना निरंतर होती रहती है।

यह भी पढ़ें: अखिलेश यादव से मिले संजय सिंह, UP में AAP ने इंडिया गठबंधन का किया समर्थन

वाल्मीकि के राम एक हाड़-मांस के पुरुष हैं, संसारी। वे श्रेष्ठ पुरुष हैं, धीर पुरुष हैं, वीर पुरुष हैं, पर हैं मानव ही। तुलसीराम ने तुलसीदास होकर राम को भी निराकार से साकार कर दिया। तुलसी के राम परब्रह्म हैं, तुलसी के राम तुलसी के हृदय पति हैं। तुलसी को राम प्यारे हैं, रामकथा प्यारी है, राम के संगी प्यारे हैं, राम के भक्त प्यारे हैं। तुलसी के लिए ये पूरा जगत राम का ही फैलाव है। राम ने तुलसी को अपना उपहार दिया तो तुलसी ने अध्यात्म की श्रेष्ठतम परंपरा में उस उपहार को जगत में बाँट दिया।


बड़ी खबरें

View All

अयोध्या

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग