विभिन्न संप्रदायों के 135 साधु संत
भूमि पूजन कार्यक्रम में 135 साधु-संतों समेत पौने दौ सौ लोग आमंत्रित हैं। इनमें हिंदुओं के अलावा, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, कबीरपंथी, रविदास, लिंगायत और आदिवासी परंपराओं के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसका मकसद सर्वधर्म समभाव और समावेशी हिंदुत्व को दर्शाना है। इसी तरह 2000 स्थानों की मिट्टी और जल के लिए 1500 का स्रोतों का चयन भी दूरगामी सोच के साथ किया गया है।
भूमि पूजन के लिए इन मुस्लिमों को आमंत्रण
भूमि पूजन कार्यक्रम बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के अलावा फैजाबाद के मोहम्मद शरीफ भी आमंत्रित हैं। इन्हें लावारिस शवों के दफनाने के लिए पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। जबकि, सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी का नाम इसलिए लिस्ट में शामिल किया गया है कि इन्होंने बाबरी मस्जिद के मुकदमें के अंतिम समय में लचीला रुख अख्तियार किया और इनका नजरिया हिंदुओं के प्रति नरम था।
सिर्फ एक मंदिर बनाने की कोशिश नहीं
विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि यह सारी कोशिश सिर्फ एक और मंदिर बनाने की नहीं है। यह अभियान पृथ्वी पर रामत्व की स्थापना के लिए, रामराज्य के लिए है। रामत्व एक ऐसे समतामूलक समाज बनाने से आएगा, जिसमें सब मनुष्यों को गरिमा मिलेगी। रोटी, कपड़ा और मकान के साथ, शिक्षा और रोजगार की भी आश्वस्ति होगी। वे कहते हैं अगले तीन वर्षों में राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा। तब तक विहिप आदिवासियों और दलितों के बीच काम करके रामत्व जगाने का काम करेगी। क्योंकि जब तक रामत्व नहीं आएगा, कार्य पूरा नहीं होगा।
अभी मथुरा-काशी की बात नहीं
विहिप के एजेंडे में अभी मथुरा, काशी शामिल नहीं है। विहिप का मानना है कि अभी अयोध्या का ही काम अधूरा है। राममंदिर निर्माण होने तब तक विश्व हिन्दू परिषद इतना काम करेगा, ताकि ऊंच-नीच, जात-पात की भावना खत्म हो जाए। उसकी योजना गौ पर आधारित अर्थव्यवस्था होगी। भाजपा और विहिप मिलकर यह प्रचारित करेंगे कि जैसे भगवान श्रीराम ने शबरी के घर जाकर जाति-व्यवस्था को दरकिनार किया था, उसी तरह आदिवासियों के लिए भाजपा सरकार काम करेगी।