
Ayodhya : जीवंत होंगे जर्जर हो चुके श्रीराम के जीवन से जुड़े अयोध्या के कुंड,Ayodhya : जीवंत होंगे जर्जर हो चुके श्रीराम के जीवन से जुड़े अयोध्या के कुंड,Ayodhya : जीवंत होंगे जर्जर हो चुके श्रीराम के जीवन से जुड़े अयोध्या के कुंड
महेंद्र प्रताप सिंह
पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
अयोध्या. सरयू नदी के पूर्वी तट पर बसा अयोध्या नगर पुरातन काल के अवशेषों से भरा पड़ा है। प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण और श्रीराम चरितमानस अयोध्या के ऐश्वर्य को प्रदर्शित करते हैं। वैभवपूर्ण रामनगरी में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। श्रीराम मंदिर के अलावा यहां के तमाम अन्य धार्मिक स्थलों का भी योगी और मोदी सरकार विकास कर रही है। सदियों से उपेक्षित कुंड और सरोवर संवारे जा रहे हैं। मंदिर निर्माण के साथ इनका भी कायाकल्प किया जा रहा है।
मार्डन टूरिज्म प्लेस बनेगा अयोध्या
रामायण का एक प्रकरण, प्राचीन इतिहास का एक पन्ना और पर्यटन आकर्षण का एक समूह अयोध्या नगर तीर्थयात्रियों, इतिहासविदो्ं, पुरातत्ववेत्ताओं और विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। अब यह दुनिया की प्रमुख अध्यात्म नगरी बनने की ओर अग्रसर है। सरकार इसे मार्डन टूरिज्म प्लेस और पिकनिक स्पॉट के तौर पर विकसित कर रही है। इसलिए यहां के हर घाट, हर मंदिर, प्रमुख तीर्थ स्थलों और कुंडों के नवनिर्माण का कार्य किया जा रहा है। मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या के पवित्र धार्मिक स्थलों का भी कायाकल्प हो रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार ने अयोध्या के कुंडों के विस्तार और सुंदरीकरण के लिए 60 करोड़ की परियोजना को मंजूरी दी है। अयोध्या में 100 से अधिक कुंड हैं। इनमें से अधिकांश जर्जर अवस्था में हैं। पहले पहले चरण में एक दर्जन से अधिक प्रमुख कुंडों को संवारा जाएगा। इनमें सूर्य कुंड, सीता कुंड, दशरथ कुंड, विभीषण कुंड, अग्नि कुंड, खुर्ज कुंड, विद्या कुंड, गणेश कुंड, हनुमान कुंड, दंतधावन कुंड आदि शामिल हैं।
अवैध अतिक्रमण हटाना सबसे बड़ी चुनौती
सरकार और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अयोध्या के प्राचीन मठ-मंदिरों और कुंडों को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराना है। रामनगरी में दर्जनों ऐसे ऐतिहासिक कुंड हैं जो अतिक्रमण की वजह से अब लुप्त हो चुके हैं। बृहस्पति कुंड, रुक्मणी कुंड, क्षीर सागर कुंड ,सप्त सागर कुंड, उर्वशी कुंड, शुक्र कुंड जैसे धार्मिक महत्च के कुंड गायब हो चुके हैं। इन पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हैं। कुछ पर मकान बन चुके हैं तो कुछ मिट्टी से पट गए हैं। इनकी पहचान को फिर से जिंदा करने के लिए पर्यटन विभाग को नयी रणनीति बनानी होगी।
राजा दशरथ का बनवाया सीता कुंड अब जर्जर
कमिगंज इलाके में राम जन्मभूमि के पीछे दो किमी की दूरी पर स्थित है सीताकुंड। यह वही स्थान है जिसे प्रभु श्रीराम के विवाह के बाद राजा दशरथ ने अपनी बहू सीता के स्नान के लिए बनवाया था। लेकिन, अब यह विशालकाय कुंड जर्जर हालत में है। यहां बने प्राचीन मंदिर के पुजारी दिनेश दास बताते हैं सीता कुंड बेहद प्राचीन और पौराणिक स्थल है। इसका रामायण और अन्य प्राचीन ग्रन्थों में भी जिक्र है।
अकेले सूर्यकुंड पर 35 करोड़ का होगा खर्च
अयोध्या के दर्शन नगर में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर अयोध्या से 4 किमी दूर स्थित है सूरज कुंड। अयोध्या के सूर्यवंशी शासकों ने भगवान सूर्य के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए इस कुंड का निर्माण करवाया था। राज्य सरकार सूर्यकुंड के सुंदरीकरण पर 35 करोड़ खर्च कर रही है। यहां की बाउंड्री वॉल पर श्रीराम के जीवन चरित का चित्रांकन होगा। बच्चों के लिए झूले लगेंगे। साइंस पार्क बनेगा। वॉटर थियेटर, हवनकुंड और वाटिका भी बनेगी। सूर्यकुंड रात में भी खूबसूरत दिखे, इसके लिए ओपन एयर थियेटर का निर्माण होगा। लाइट एंड साउंड शो के आयोजन की व्यवस्था होगी। जहां श्रीराम के जीवन से संबंधित लेजर शो दिखाए जाएंगे।
भरत कुंड, जहां भरत ने की थी तपस्या
अयोध्या नगरी से लगभग 15 किमी दूर नंदी ग्राम में है भरत कुंड। यह विश्वास किया जाता है कि यही वह स्थान है जहां श्रीराम के भाई भरत ने श्रीराम के वनवास से लौटने तक तपस्या की थी। यही रहकर उन्होंने कोशल राज्य पर श्रीराम की ओर से शासन किया। लोग यहां श्राद्ध कार्यक्रम के लिए आते हैं और कुंड में आस्था की डुबकी लगाते हैं। अयोध्या मेे वह कुंड भी है जहां श्रीराम सुबह-सबेरे अपने दांतों की साफ-सफाई करते थे। इसे दंतधावन कुंड कहते हैं। श्रीराम और माता सीता के चरित्र से जुड़े इन सभी कुंडों के वैभव फिर से लौटेंगे।
Published on:
12 Oct 2020 01:51 pm
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